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चीन-रूस कर रहे हैं उत्तर कोरिया की ‘मेनस्ट्रीमिंग’, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को कर रहे कमजोर

उत्तर कोरिया (North Korea) को दुनिया (World) में अलग-थलग करने की पश्चिमी देशों (western countries) की कोशिश को लगातार झटका लग रहा है। चीन और रूस (China and Russia) अब अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों (international sanctions) की अनदेखी करके उत्तर कोरिया को ‘मेनस्ट्रीम’ में लाने में जुट गए हैं। कूटनीति विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2023 की शुरुआत में ही उत्तर कोरिया को एक नई जमीन मिलती दिख रही है।

थिंक टैंक स्वीडिश इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेन अफेयर्स में एसोसिएट फेलॉ बेंजामिन काट्जेफ का एक विश्लेषण इस क्षेत्र में खासा चर्चित हुआ है। इसमें उन्होंने कहा है- ‘इस बात के ठोस संकेत हैं कि चीन उत्तर कोरिया के कोयले के आयात पर लगे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को कमजोर कर रहा है। इसी तरह उत्तर कोरिया को पेट्रोलियम उत्पाद बेचने पर लगे प्रतिबंध भी कमजोर किए जा रहे हैं। इससे उत्तर कोरिया को आर्थिक ताकत मिल रही है।’

बेंजामिन का विश्लेषण ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी और कॉलेज ऑफ एशिया एंड पैसिफिक की तरफ से संचालित ईस्ट एशिया फोरम ने प्रकाशित किया है। इसमें कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पूरी दुनिया अलग-अलग खेमों में गोलबंद हो गई है। इसका फायदा उत्तर कोरिया को मिल रहा है। इससे यह सहमति टूट गई है कि उत्तर कोरिया को अगर आर्थिक मदद पानी है, तो उसे परमाणु हथियार रखने की महत्त्वाकांक्षा छोड़नी होगी।

विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच जीना सीख लिया था। वहां यह धारणा बन गई थी कि दुनिया में कोई देश उसका दोस्त नहीं है। उसे थोड़ी-बहुत उम्मीद चीन से ही रहती थी। लेकिन अब रूस ने भी उससे सहयोग शुरू कर दिया है। अब ये धारणा गहरा रही है कि चीन और रूस दोनों अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन नहीं कर रहे हैं।

कुछ टिप्पणियों में कहा गया है कि चीन पहले भी उत्तर कोरिया को मदद देता था। लेकिन अब वह ऐसा खुल करने लगा है। अब दुनिया में जिस तरह की गोलबंदी हो रही है, उसके बीच इस बात की संभावना बहुत कम है कि चीन और रूस का रुख उत्तर कोरिया के खिलाफ सख्त होगा।

यूक्रेन युद्ध के साथ ही पश्चिमी देशों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भी तनाव बढ़ा दिया है। इस कारण अब इस बात की कम संभावना मानी जा रही है कि उत्तर कोरिया को अलग-थलग करने में अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया को चीन और रूस का साथ मिलेगा। आशंका यह है कि उत्तर कोरिया को आर्थिक राहत मिली, तो मिसाइल और परमाणु हथियारों के विकास में वह अधिक संसाधन लगा पाने की स्थिति में होगा। इस सिलसिले में ये बात याद दिलाई गई है कि पिछले साल उसने रिकॉर्ड संख्या में मिसाइल परीक्षण किए थे।

कुछ खबरों में बताया गया है कि उत्तर कोरिया अपने प्रशिक्षित कर्मियों को यूक्रेन के उन इलाकों में भेजने की तैयारी में है, जिन पर रूस ने कब्जा कर लिया है। विश्लेषकों के मुताबिक उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन रूस से संबंध मजबूत बनाने को खास प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके जरिए वे चीन पर उत्तर कोरिया की अति निर्भरता को खत्म करना चाहते हैं।