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चंद्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण से सातवें आसमान पर है देश की खुशी : मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को चन्द्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण पर खुशी व्यक्त करते हुए इसरो के वैज्ञानिकों को सफलता के लिए बधाई दी । खड़गे ने अपने बधाई संदेश में कहा, “हमारे वैज्ञानिकों इंजीनियरों और चन्द्रयान-3 मिशन के सफल प्रक्षेपण में शामिल सभी लोगों की जबरदस्त प्रतिभा, समर्पण, कौशल और कड़ी मेहनत को धन्यवाद। इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए हमें आपमें से प्रत्येक पर बेहद गर्व है।

कांग्रेस पार्टी इसरो की असाधारण टीम के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती है।” उन्होंने कहा “भारत का चंद्र मिशन 2008 में चंद्रयान-1 के साथ शुरु हुआ जिसने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि की। यह हमारे देश की एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। चंद्रयान-2 ने पहली बार रिमोट सेंसिंग के माध्यम से क्रोमियम, मैंगनीज और सोडियम की मौजूदगी का पता लगाया।

हमारे वैज्ञानिकों की दृढ़ता व्यर्थ नहीं गई और आज चंद्रयान-3 पंडित नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा राव, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह सहित हमारे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प और उपलब्धि का प्रमाण है।”

खड़गे ने कहा, “यह डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. सतीश धवन और अनगिनत दूरदर्शी वैज्ञानिकों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है जिन्होंने हमारे लोगों के लिए मानव और सामाजिक विकास के लिए वैज्ञानिक सोच स्थापित करने और विकसित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।”

कांग्रेश संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा,”चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक लॉन्च होना हम सभी भारतीयों के लिए बेहद गर्व और उत्साह का अवसर है।इस अवसर पर हम 22 अक्टूबर, 2008 को चंद्रयान-1 और 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग को भी याद करते हैं। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के आत्मनिर्भर होने का एक लंबा इतिहास रहा है और इस दौरान इसे राजनीतिक नेतृत्व द्वारा भरपूर समर्थन मिला है।

अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति-इंकॉसपर की स्थापना फरवरी 1962 में की गई थी। इसके लिए होमी भाभा और विक्रम साराभाई का धन्यवाद। साराभाई ने अगस्त 1969 में इसरो बनाया। यह उनका और बाद में सतीश धवन का विज़न था जिसने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक विशिष्ट विकासात्मक उद्देश्य दिया।वर्ष 1972 और 1984 के बीच धवन ने हर तरह से इसरो समुदाय का मार्गदर्शन किया। यू आर राव से शुरू होकर अब तक उनके प्रत्येक उत्तराधिकारी ने साराभाई-धवन की विरासत को आगे बढ़ाया है और महत्वपूर्ण योगदान दिया है।हम आज पूरे इसरो परिवार को सलाम करते हैं और उनके कार्यों की सराहना करते हैं।”