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घर में पड़े खाने के लाले, लेकिन फिर भी पाक PM इमरान खान कर हैं ऐसा काम

पाकिस्तान में रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसकी वजह से आम जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन सबसे बेफिक्र प्रधानमंत्री इमरान खान जश्न मनाने में लगे हुए हैं। लोगों के लिए घर में पड़ खाने के लिए लाले के बीच पाकिस्तानी सरकार कई महीनों से इकॉनमी पर घिरने पर पुरानी सरकारों और कोरोना वायरस पर दोष मढ़ती रही। हालांकि, अब सरकार दोनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए पीएम इमरान खान को श्रेय दे रही है। पीएम खान और उनकी सरकार के अर्थशास्त्रियों ने हाल में जनता और दुनिया को समझाने की कोशिश की है कि उनकी सरकार ने इकॉनमी पर बेहतर काम करने में सफलता हासिल की है।

पिछले साल नवंबर में, इमरान खान ने नेताओं और सिविल सोसाइटी के साथ एक बैठक में कहा था कि आर्थिक पुनरुद्धार में मुश्किल चरण खत्म हो गया है और इकॉनमी में सुधार हुआ है। इसके बाद, अगले महीने पीएम खान ने घोषणा की कि पाकिस्तान की इकॉनमी ने ‘उल्लेखनीय बदलाव’ किया है। यह सच है कि कोरोना महामारी की वजह से पाकिस्तान की इकॉनमी पर असर पड़ा है, लेकिन यह गिरावट साल 2018 के मध्य से ही शुरू हो गई थी। पाकिस्तान की जीडीपी 2019 में 1.9% बढ़ी, जो पिछले वर्ष के एक दशक के उच्च स्तर 5.8% से नीचे थी जब इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता में आई थी।

वहीं, पाकिस्तान की सरकार के बाहर कोई भी इकॉनमी को लेकर उतना आश्वस्त नहीं दिखाई दे रहा है। पीएम खान के दावे पर टिप्पणीकार खुर्रम हुसैन ने एक लेख में कहा है कि जब भी सरकार की ओर से आप बढ़ते एक्सपोर्ट की गाथा के बारे में सुनते हैं, तो ध्यान रखें कि उसी जुलाई से दिसंबर की अवधि में एक्सपोर्ट की तुलना में व्यापार घाटा और भी तेजी से बढ़ा है।

इसके अलावा, पाकिस्तान मुद्रास्फीति को भी नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जो कि 2020 में 10.7% थी। वहीं, यह 2019 में 6.8% और 2018 में 4.7% थी, जब इमरान खान सरकार सत्ता में आई थी। खाद्य कीमतों में हालिया बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि यह बढ़ोतरी आगे भी जारी रहने की आशंका है। ऐसे में पाकिस्तान ने बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए गेहूं, चीनी और कैनोला का इम्पोर्ट काफी हद तक बढ़ा दिया, जिससे उसका कराची बंदरगाह तक जाम हो गया।