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कोरोना के खिलाफ टोने टोटके का सहारा, पूरा गांव किया गया खाली, और फिर…

कोरोना ने देश भर के ग्रामीण इलाकों में कहर मचा रखा है. गांव की स्थिति दिन पर दिन बेहद खराब होती जा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश आगर-मालवा के दो गांवों में अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन ग्रामीण इलाज के बजाए अंधविश्वास पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और कोरोना के इलाज के लिए टोने टोटके का सहारा ले रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आगर मालवा जिले में अब तक कोरोना की वजह से 29 लोगों की जान गई है. लेकिन पिछले दो महीनों में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए जिले भर से 613 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसमें ज्यादातर गांव के वो आवेदक है अपने मरीज को अस्पताल नहीं ले जा सके हैं. जब कोरोना को लेकर आगर मालवा के गांवों की स्थितियां जानने की कोशिश की तो पता चला कि ग्रामीण कोरोना टेस्ट कराने के बजाय अंधविश्वास का सहारा ले रहे हैं.

आगर मालवा जिला मुख्यालय के बाहरी इलाके में स्थित बैजनाथ निपानिया गांव में पिछले दो हफ्तों में 20 से अधिक मौतें हुई हैं. गांव के लोगों का कहना है कि निश्चित रूप से इसका कारण कोरोना नहीं था. ग्रामीण इसे अज्ञात कारणों से मौत बताते हैं. उनका मानना है कि सोमवार को एक अनुष्ठान किया, जहां प्रत्येक व्यक्ति को गांव के प्रवेश द्वार पर एक काल्पनिक द्वार से गुजरना होता है. इस काल्पनिक द्वार पर दो लोगों द्वारा इन पर पवित्र जल छिड़का गया और गांव के मंदिर में की गई एक विशेष पूजा के बाद पानी लाया गया है. गांव में रहने वाले नारायण सिंह बताते हैं कि यह एक विशेष अनुष्ठान है और पुराने जमाने से किया जा रहा है. जब जानवर और इंसान महामारी की चपेट में आ गए हैं तो यह अनुष्ठान हमें कोरोना से बचाएगा.

वहीं गांव के ही एक शख्स बृजेंद्र सिंह राठौर का मानना है कि पिछले कुछ हफ्तों में गांव में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, लेकिन उनमें से कोई भी कोरोना से नहीं था. मौतें असामान्य थीं क्योंकि ज्यादातर की अचानक मौत हो गई. लोगों को इस तरह के अनुष्ठानों में विश्वास है और उनके पास इसके अलावा कोई अन्य विकल्प भी नहीं है क्योंकि अस्पतालों में स्थिति बेहद खराब है. आगर मालवा में बैजनाथ निपानिया अकेला ऐसा गांव नहीं है जहां लोग कोरोना से सुरक्षा के लिए इस तरह के अंधविश्वास का सहारा ले रहे हैं. महज 2 किलोमीटर दूर आवर गांव में 4000 से ज्यादा लोगों ने अपने घरों को खाली कर दिया है. स्थानीय मंदिर में कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा विशेष हवन किया जा रहा है. इस गांव में भी पिछले दो सप्ताह में 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन ग्रामीणों का मानना ​​है कि इसका कारण कोरोना के अलावा कुछ और था.

आवर गांव के रहने वाले तूफान सिंह की मानें तो यह एक रस्म है जो हमारे गांव में कोई त्रासदी आने पर की जाती है. हमें अब यकीन हो गया है कि कोरोना हमारे गांव में प्रवेश नहीं कर पाएगा. गांव के घनश्याम का मानना है कि गांव में सरकारी टीम के आने पर निवासियों ने अपना कोरोना टेस्ट कराने से मना कर दिया. ग्रामीणों को लगता है कि जांच के बाद अस्पताल ले जाएंगे और वहां की स्थिति सबको पता है, कैसी है. इस पूरे मामले में जब आगर मालवा के एस डी एम राजेंद्र रघुवंशी से बात की तो उनका भी कहना है कि लोगों को टोना टोटका छोड़कर इलाज पर ध्यान देना चाहिए. बरहाल आगर मालवा के गावों के लोगों को इलाज से ज्यादा टोन टोटके पर यकीन है. यह चिंता का विषय है क्योंकि पिछले 20 दिनों में 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में कोरोना कभी नहीं आया.