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किसान नेताओं के बीच पड़ी दरार, आंदोलन से पीछे हटे दो संगठन

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा व लाल किले पर हुड़दंग के बाद बुधवार को किसान नेताओं के बीच दरार पड़ गई. पहले राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने आंदोलन से पीछे हटने का ऐलान किया. इसके बाद भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने आंदोलन से अलग होने की घोषणा कर दी.

किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने BKU के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेकर कहा, ‘मैं किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध नहीं कर सकता, जिसकी दिशा अलग है. मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन विरोध से पीछे हट रहे हैं.’ BKU के नेता भानु प्रताप सिंह ने कहा, ‘कल (26 जनवरी) दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उससे मैं बहुत आहत हूं और हमारे 58 दिनों के विरोध को समाप्त कर रहा हूं.’

हम एमएसपी की गारंटी चाहते हैं: वीएम सिंह

वीएम सिंह ने कहा, ‘एक दिसंबर को पहली वार्ता हुई. उसके बाद गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत को बुला लिया गया. ये साजिश है या नहीं ये हमें नहीं पता. हमारी बात सरकार के सामने नहीं उठाई गई. उसके बाद 26 तारीख को हमारी बात रखी गई. हम एमएसपी की गारंटी चाहते हैं.’

‘राकेश टिकैत के प्रोटेस्ट से हमारा लेना देना नहीं’

उन्होंने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के संबंध में कहा, ‘मैंने खुद राकेश टिकैत से बात की. उन्होंने कहा सब ठीक है, लेकिन वो लोग बैरीकेट तोड़कर अंदर चले गए. हम यहां अपने हक के लिए अस्पतालों में मलहम पट्टी करने नहीं आए हैं. राकेश टिकैत की ओर से किए गए प्रोटेस्ट से हमारा कोई लेना देना नहीं है. आंदोलन खड़ा करने का काम वीएन सिंह ने किया था. 26 जनवरी को जो हुआ उससे बदनामी हो इसलिए नहीं आए थे. हम चाहते थे बिना एफआईआर हुए अपना हक लेकर वापस घर जाएं.’

वीएम सिंह ने सरकार की भी बताई गलती

उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार की भी गलती है जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी? जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी. हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है. उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं. ITO में एक साथी शहीद भी हो गया, जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए.

हिंसा से संयुक्त किसान मोर्चा का कोई संबंध नहींः दर्शनपाल सिंह

तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सभी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं किसानों का आंदोलन बुधवार को 63वें दिन जारी है. आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने किसानों से शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी रखने की अपील की है और मंगलवार को हुई हिंसा की घटना की निंदा की है. पंजाब में क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण है और लाल किला किसानों को ले जाने और ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा करने वालों के साथ मोर्चे का कोई संबंध नहीं है.

कई पुलिसकर्मी हुए घायल

बीते दिन जब पूरा देश मंगलवार को जब 72वें गणतंत्र दिवस के जश्न मना रहा था तब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमाओं से निकली किसान रैली बेकाबू हो गई और ट्रैक्टरों पर सवार लोग लाल किला पहुंच गए और वहां हुड़दंग मचाने लगे. हुड़दंगियों ने आईटीओ पर भी हंगामा मचाया जहां पुलिस को उन पर लाठीचार्ज भी करना पड़ा. इस बीच कई पुलिसकर्मी घायल हुए और एक ट्रैक्टर चालक की मौत हो गई.