बांके बिहारी मंदिर वृंदावन ट्रस्ट की शाहपुर स्थित जमीन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पाटी की सरकार के दौरान कुछ लोगों ने इस जमीन पर पहले कब्जा किया और फिर अधिकारियों से मिलीभगत कर इसका इंद्राज कब्रिस्तान के नाम करा लिया था. अब इस इंद्राज के खिलाफ आई अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे खारिज किया है. इसके साथ ही इंद्राज करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों व इसमें शामिल अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट का एक भूखंड शाहपुर में है. मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान समाज विशेष के लोगों ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया था. वहीं मंदिर पक्ष ने पुलिस में शिकायत दी, लेकिन उस समय पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की. इससे आरोपियों का मनोबल बढ़ा और उन लोगों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर इस जमीन का मालिकाना हक कब्रिस्तान के नाम करा लिया था.
इसके बाद धर्म रक्षा संघ के राम अवतार सिंह गुर्जर ने इस जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई स्थानीय अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ी. उनकी अर्जी पर हाईकोर्ट ने इस जमीन के मालिकाना हक का सत्यापन करते हुए पाया है कि नामांतरण गलत तरीके से किया गया. चूंकि मामला सेंसिटिव है. इसलिए अदालत ने भी अपने फैसले में पूरी गंभीरता दिखाते हुए ना केवल जमीन का नामांतरण खारिज किया है, बल्कि जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा अन्य लोग इस गोरखधंधे में शामिल रहे थे, उनके खिलाफ केस भी दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट के इस फैसले पर धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने खुशी जताई है. कहा कि उनका संगठन शुरू से इस मुद्दे को लेकर मुखर था. लेकिन उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उन दिनों भोला पठान समेत अन्य लोगों ने षड्यंत्र करके बांके बिहारी मंदिर की इस जमीन को कब्रिस्तान के नाम कर लिया था. इस गलती के सुधार के लिए कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार हाईकोर्ट ने इस मामले में न्याय दिया है.