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ऊंचाई पर जंग लड़ने और काउंटर-इंसर्जेंसी के एक्सपर्ट थे बिपिन रावत, सेना के सर्वोच्च पद तक पहुंचने का ऐसा रहा सफर

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की तमिलनाडु में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत से पूरा देश सदमे है। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार दोपहर को हुए हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सहयोगियों की मौत हो गई। जनरल बिपिन रावत एक बेहद जांबाज योद्धा रहे जिन्होंने सेना में सर्वोच्च पद तक का सफर पूरा किया।

बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी में 16 मार्च 1958 को हुआ था। बिपिन रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए। वहीं उनकी मां प्रदेश के उत्तरकाशी की रहने वाली थीं, जो पूर्व विधायक किशन सिंह परमार की बेटी थीं।

जनरल रावत सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकसला के पूर्व छात्र थे। उन्होंने देहरादून और शिमला में पढ़ाई पूरी करने के बाद एनडीए से सेना में एंट्री ली थी। वे 1978 में सेना में शामिल हुए थे और दिसंबर 1978 में देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था। यहां उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया था।

बिपिन रावत को ऊंचाई पर जंग लड़ने और काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन यानी जवाबी कार्रवाई के एक्सपर्ट के तौर पर जाना जाता था। साल 2016 में उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद तत्कालीन आर्मी चीफ रावत के नेतृत्‍व में 29 सितंबर 2016 को पाकिस्‍तान में बसे आतंकी शिविरों को ध्‍वस्‍त करने के लिए सर्जिकल स्‍ट्राइक की गई थी।

सर्विस के दौरान उन्होंने एलओसी, चीन बॉर्डर और नॉर्थ-ईस्ट में एक लंबा वक्त गुजारा था। उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव था।

जनरल रावत ने कश्मीर घाटी में नेशनल राइफल्स में ब्रिगिडेयर और फिर मेजर-जनरल के तौर पर इंफेंट्री डिवीजन की कमान संभाली। साउथ कमांड की कमान संभालते हुए उन्होंने पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर मैकेनाइजड-वॉरफेयर के साथ-साथ एयरफोर्स और नेवी के साथ बेहतर तालमेल भी बैठाया।

चीन बॉर्डर पर भी बिपिन रावत कर्नल के तौर पर इंफेंट्री बटालियन की कमान भी संभाल चुके हैं। बिपिन रावत ने सेना में रहते हुए करीब चार दशक तक देश की सेवा की। जनरल रावत ने मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा हासिल किया था और बाद में उन्होंने सैन्य मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर अपना शोध भी पूरा किया था।

उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें ‘परम विशिष्ठ सेवा मेडल’ से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ठ सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ठ सेवा मेडल आदि सम्मानों से नवाजा जा चुका है।

जनरल बिपिन रावत ने 17 दिसंबर 2016 को जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद 27वें सेनाध्यक्ष के रूप में भारतीय सेना की कमान संभाली थी। 1 जनवरी 2020 को देश में पहली बार सीडीएस की नियुक्ति हुई थी और जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस नियुक्त किए गए।