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ई कॉमर्स द्वारा लायी गयी मेगा सेल से सहमे व्यापारी, केन्द्र सरकार से गुहार

यापारियों के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ़ आल इंडियन व्यापार मंडल (फैम) ने केंद्रीय वित्त मंत्री और केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्री से अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट द्वारा लाई गयी फेस्टिव मेगा बिक्री के कुछ संदिग्ध पहलू पर जांच करने का अनुरोध किया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री और केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्री को संयुक्त रूप से भेजे गए एक पत्र में, फैम ने शंका जाहिर की कि भारी छूट की आड़ में प्रीडेटरी प्राइस वसूल करना , क्रेडिट / डेबिट कार्ड बैंकों द्वारा नकद वापस ( कैश बैक ), और खरीदारों के लिए ईएमआई पर ब्याज की उच्च दर के मामलों को गहनता से जांचने की आवश्यकता है। फैम ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुऐ अंकित किया है कि क्या इ कॉमर्स के विक्रेताओं द्वारा एकत्र किए जा रहे जीएसटी को सरकार के मानदंडों के अनुसार उचित रूप से जमा किया जा रहा है क्योंकि ई-कॉमर्स पोर्टलों द्वारा लगभग 6.5 लाख नए विक्रेताओं को जोड़ा गया है और अधिकांश बिक्री छोटे शहरो (टियर -3 शहरो) में और ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही है जहा पर जी एस टी के विषय में पूर्ण जागरूकता नहीं है। फैम के राष्ट्रीय महामंत्री वी. के. बंसल ने बताया कि इस त्योहारी सीजन में ईकॉमर्स की हिस्सेदारी पिछले वर्ष 5% से बढ़ कर 10% तक होने की संभावना है।

बंसल ने कुछ प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुऐ बताया है कि इस त्योहारी सीजन में ई-कॉमर्स द्वारा 7 बिलियन डॉलर यानि लगभग 50,000 करोड़ रुपये की बिक्री होने की उम्मीद है। यह पिछले साल की त्योहारी बिक्री की तुलना में लगभग 84% की वृद्धि होगी । फैम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयेंद्र तन्ना ने भी ई कॉमर्स बिक्री से प्राप्त जीएसटी को सरकारी खजाने में जमा करने के बारे में संदेह जताया। फैम के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी सुशील पोद्दार, जो पश्चिम बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, के अनुसार क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड बैंक ग्राहकों को 10% तक के कैश बैक की पेशकश कर रहे हैं। पोद्दार इस बात से काफी चकित हैं कि एक तरफ हमारे बैंक व्यावसायिक ग्राहकों से अपनी प्रत्येक सेवाओं के लिए भारी शुल्क वसूलते हैं, दूसरी ओर वे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर किए गए लेन-देन पर 10% तक का कैश बैक (निश्चित कैप के साथ) दे रहे हैं।

क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड पर कैश बैक के इस संपूर्ण मुद्दों की जांच की जानी चाहिए। अपने पत्र में फैम द्वारा मुद्दा उठाया गया है कि किश्तों पर खरीदारी करने वाले खरीदारों से गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था 20% से 36% तक ब्याज वसूल कर रही है । इसके अतिरिक्त एकमुश्त प्रोसेसिंग शुल्क आदि भी ले रहे हैं। अपने पत्र के अंत में फैम ने लिखा कि लॉक डाउन के दौरान इन पड़ोस की दुकानों ने सम्पूर्ण राष्ट्र को सभी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करके पूरे देश की सेवा की। हमारे माननीय प्रधान मंत्री ने अपने एक ट्वीट द्वारा खुदरा विक्रेताओं की भूमिका की सराहना की थी। हालांकि बाद में अनलॉक होने के पश्चात ग्राहकों ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का रुख कर लिया । फिजिकल मार्केट प्लेस में हमारे रिटेलर्स फेस्टिव सीजन सेल के फायदों से पूरी तरह से वंचित हैं।