इराक (Iraq) में अमेरिकी सेना (US Army) को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. इस बार अमेरिकी सेना के काफिले को निशाना बनाया गया है. इनपर उस समय मिसाइल हमला किया गया, जब ये लोग इराकी शहर नसीरिया ( Nasiriyah) से गुजर रहे थे. ये जगह दक्षिणी इराक में स्थित है. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इससे एक दिन पहले अमेरिकी सैनिकों के काफिले पर बम से बमला किया गया था. उस समय भी ये लोग इसी शहर से गुजर रहे थे.
हाल के महीनों में सैनिकों पर इस तरह के हमले तेजी से बढ़ रहे हैं. इराक में अमेरिका के 2500 सैनिक तैनात हैं. इससे पहले सोमवार को अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर मिसाइल से हमला हुआ था. ये हमला इराक के इरबिल में हुआ था. जिसमें एक नागरिक की मौत हो गई और 9 अन्य लोग घायल हुए. घायलों में अमेरिका नीत सैन्य गठबंधन का सदस्य भी शामिल है.
इस संगठन ने ली हमले की जिम्मेदारी
इस हमले की जिम्मेदारी शिया ग्रुप ने ली थी. जिसे Saraya Awliya al-Dam के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहा जा रहा है कि इसे इराक के समर्थन वाले विद्रोहियों का सहयोग प्राप्त है. हालांकि व्हाइट हाउस (White House), पेंटागन (Pentagon) और रक्षा विभाग ने सार्वजनिक तौर पर नहीं बताया है कि हमले के लिए कौन जिम्मेदार है. ये हमला काफी घातक था क्योंकि इसमें कई गाड़ियों और अन्य संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है. रॉकेट किरकुक प्रांत से लगी सीमा के पास इरबिल के दक्षिण से दागे गए थे. जो वहां स्थित एयरपोर्ट के पास वाले आवासीय इलाकों में जाकर गिरे.
नाटो ने की बड़ी घोषणा
दूसरी ओर नार्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) के महासचिव जेंस स्टोलटेनबर्ग (Jens Stoltenberg) ने घोषणा की है कि वह इराक (Iraq) में अपने सुरक्षा प्रशिक्षण मिशन (Security Training Mission) का विस्तार करेंगे. ताकि युद्ध से घिरा ये देश अंतरराष्ट्रीय आतंकियों (International Terrorists) का सुरक्षित ठिकाना न बन सके. स्टोलटेनबर्ग ने कहा, ‘हमारे मिशन का आकार 500 कर्मियों से करीब 4000 कर्मियों (Iraq NATO Forces) तक किया जाएगा और अब प्रशिक्षण संबंधित गतिविधियों में अधिक इराकी सुरक्षा संस्थानों को शामिल किया जाएगा. वहां हमारी मौजूदगी स्थिति के आधार पर है और सुरक्षाकर्मियों की संख्या को बढ़ाया जाएगा.’