आज से गुप्त नवरात्रि (Gupt Navrati) का त्योहार शुरू हो रहा है. गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं. इस नवरात्रि में त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां काली, मां भुवनेश्वरी, मां तारा देवी, माता मातंगी, त्रिपुरा सुंदरी, छिन्नमस्ता और माता कमला देवी की श्रद्धा पूर्वक पूजा होती है. इस बार गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई 2021 से शुरू होकर 18 जुलाई तक मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार, सालभर में 4 बार नवरात्रि आती हैं. आषाढ़ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं. आइए जानते हैं इस नवरात्रि से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि के पहले दिल कलशस्थापना की जाती है. इस दिन कलश को मिट्टी के पात्र में रखा जाता है. मान्यता है कि अगले 9 दिनों के लिए देवी दुर्गा इसी में वास करती हैं. घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 8 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 32 तक रहेगा. इसके अलावा 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट का समय भी घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है. अष्टमी और नवमी तिथि 17 और 18 जुलाई को पड़ रही है.
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और विधि विधान से पूजा-अर्चना करें. कलश स्थापना से पहले मंदिर की अच्छे से साफ- सफाई कर गंगाजल छिड़के. इसके बाद मिट्टी के पात्र में जौ के बीज को बोएं और उसके बाद कलश रखें. कई लोग गुप्त नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखते हैं. अष्टमी और नवमी तिथि को नौ कन्या खिलाकर व्रत का पारण करें. नवरात्रि पूजा के लिए सात तरह के अनाज, पवित्र नदी के रेत, पान, हल्दी, सुपारी, चंदन, रोली, रक्षा धागा, जौ, कलश, फूल, अक्षत और गंगाजल की जरूरत होती है.
गुप्त नवरात्रि महत्व
गुप्त नवरात्रि का व्रत माता दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि इस व्रत को शक्ति साधना, क्रियाएं, तांत्रिक और मंत्रों को साधने के लिए ये नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण होती. इस व्रत को करने से व्यक्ति निरोगी होता है. सच्चे मन से देवी दुर्गा की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मान्यता है कि इस नवरात्रि में मंत्रों का विशेष महत्व होता है.