इजराइल-हमास जंग को अब पूरे छह दिन हो चुके हैं. दोनों ही ओर से हजारों जानें गई हैं. कई बेगुनाह जानें भी गई हैं. हमास, इजराइल को दुनिया के नक्शे से मिटा देना चाहता है तो इजराइल ने भी हमास के एक-एक आतंकी को मार गिराने का फैसला किया है. इस दौरान हमास के समर्थन में सामने से लेबनान आया है. बाकी कुछ अरब देश उसे पीछे से मदद कर रहे हैं. पर, इजराइल की स्थिति एकदम अलग है. युद्ध घोषित होने के साथ ही पूरा देश एक हो गया. विपक्ष भी अब सरकार के साथ है. पूरी दुनिया में फैले इजराइली मूल के लोग स्वदेश लौट रहे हैं. वे इस जंग में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर रहे हैं.
इस बीच इजराइल के समर्थन में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली समेत दुनिया के अनेक देश आ गए हैं. फ्रांस ने अपने यहां फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन पर रोक लगा दी है तो अमेरिका ने अपना सबसे ताकतवर और दुनिया का सबसे बड़ा जंगी पोत यूएसएस गेराल्ड फोर्ड ही रवाना कर दिया है. हथियारों का जखीरा लेकर अमेरिका का एक मालवाहक जहाज दो दिन पहले ही इजराइल पहुंचा है.
इजराइल की कितनी मदद कर रहा अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्री ने इजराइल का दौरा किया और राष्ट्र का समर्थन दिया. उनके पहुंचने के साथ ही हथियारों, गोला-बारूद का जखीरा लेकर पूरा-पूरा मालवाहक इजराइल पहुंचा है. यूएसएस गेराल्ड फोर्ड को तैनात किया है. यूएसएस जार्ज वाशिंगटन भी भूमध्य सागर पहुंच गया है. यह एक और जंगी पोत है. इस तरह दो स्ट्राइकर ग्रुप भी भूमध्य सागर में अमेरिका की ओर से तैनात हैं.
एक आकलन के मुताबिक 8-10 हजार अमेरिकी सैनिक युद्ध के साजो-सामान के साथ इजराइल के आसपास समुद्र में तैनात हो चुके हैं. अमेरिका ने इंटरसेप्टर मिसाइलें, पैट्रियट मिसाइलों को भी इजराइल पहुंचा दिया है.
इजराइल पहुंचे अमेरिकी बेड़े में पांचवीं पीढ़ी के एफ-35, एफ ए-18 सुपर हार्नेट, ई-2 डीएडवांस्ड हॉक आई, ईए-18 जी ग्रोलर इलेक्ट्रानिक अटैक एयरक्राफ्ट, एमएच-60 आर/एस हेलीकाप्टर शामिल हैं. पेंटागन इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है. जरूरत पड़ने पर कुछ ही घंटों में इजराइल को कई तरह की मदद मिल सकेगी.
जर्मनी भेजेगा हाइटेक हथियारों से लैस ड्रोन
जर्मनी ने हेरोन सीरीज के दो ड्रोन इजराइल को देने का फैसला किया है, जिससे सीमाओं की निगरानी हो सके. अत्याधुनिक, हथियारों से लैस इस ड्रोन की कई खासियतें हैं. इसे रडार पकड़ नहीं सकते. काफी ऊंचाई तक उड़ सकता है. यह सिग्नल के जरिए कंट्रोल रूम से कनेक्टेड है. इसमें अत्याधुनिक कैमरे हैं, जो तस्वीरें कंट्रोल रूम को भेजते रहते हैं. जरूरत पड़ने पर जमीन पर बैठे पायलट का इशारा मिलते ही ड्रोन हमला भी करने में सक्षम है. जर्मनी हथियारों का जखीरा भी भेज रहा है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैंक्रों ने ब्रिटेन, इटली, अमेरिका, जर्मनी की इजराइल के प्रति प्रतिबद्धता को सार्वजनिक तौर पर दर्शाया है. इन सभी देशों ने इजराइल की इस जंग में हर तरह से मदद का न केवल वायदा किया है, बल्कि मदद पहुंचने भी लगी है. सभी देश आतंकवादी समूह हमास के खात्मे के पक्ष में हैं. इसके लिए वे कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते.
इस बात का खुलासा होना बाकी है कि दुनिया का सबसे बड़ा जंगी जहाज में किस तरह के हथियार आए हैं लेकिन अमेरिका का इतिहास बताता है कि वह आतंकियों के खात्मे के लिए अपने सबसे बेहतर हथियारों का इस्तेमाल करता है. 9/11 के बाद तो आतंकवादी कहीं भी हों, अमेरिका उन्हें अपना दुश्मन ही मानता है.
इजराइली पीएम नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से बातचीत में हमास को ISIS से समर्थन की जानकारी दी है. अभी इजराइल ने जमीनी हमले नहीं शुरू किए हैं. केवल हवाई हमलों से गाजपट्टी इलाके में ऑपरेशन चला रहा है, लेकिन जिस तरह से दुनिया गोलबंद हो रही है. यह लड़ाई लंबी खिंच सकती है और स्वाभाविक है, जान-माल का नुकसान भी होगा.
दुनिया के सबसे ताकतवर जहाज की खूबियां
इजराइल को लेकर अमेरिका की पॉलिसी एकदम स्पष्ट है. उसने यूएसएस गेराल्ड फोर्ड को भूमध्य सागर में तैनात कर दिया है. भौगोलिक तौर पर समझना आसान होगा कि गाजा पट्टी एक ऐसा इलाका है जिसके एक ओर भूमध्य सागर तो दूसरी ओर इजराइल है. एक पतला गलियारा मिस्र को कनेक्ट करता है, जहां इजराइली सैनिक तैनात हैं. मतलब तैयारी कुछ ऐसी है कि गाजा पट्टी पर जल-थल-नभ, तीनों से वार हो सके. इसमें यूएसएस गेराल्ड फोर्ड बेहद मददगार है.
इस तरह दुनिया का सबसे बड़ा यह जंगी पोत बेहद ताकतवर है क्योंकि इस पर अत्याधुनिक मिसाइलें हैं, तो फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर भी यहां से उड़ान भरेंगे. रडार, सेंसर इतने ताकतवर हैं कि इनकी ओर देखने वाले को आसमान, समुद्र या जमीन पर यूं ही धूल चटा देंगे. गलती से कोई पहुंचने में कामयाब भी हो गया तो अत्याधुनिक हथियारों से लैस सैनिक उनसे निपट लेंगे. इशारा मिलते ही विध्वंशक जहाज निपट लेंगे. मतलब अमेरिका ने अपना सबसे मजबूत बेड़ा इजराइल की सुरक्षा में लगा चुका है, जिसे ऑपरेशनल करने को आदेश का इंतजार है. इस पर सवार लगभग साढ़े चार हजार सैनिक किसी भी स्थिति का सामना करने को तत्पर हैं. एक आदेश मिलने पर ये दुश्मन पर टूट पड़ेंगे.