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अब बीसीसीआई अध्यक्ष ने माना चुनौतीपूर्ण है बायो बबल में रहना, ऐसी हो जाती है दिनचर्या

इंडियन प्रीमियर लीग का आगाज करीब आने से पहले कोरोना का कहर भी बढ़ता जा रहा है। आईपीएल के 14वें सीजन का शुरूआत 9 अप्रैल से हो रही हैं। पहला मैच मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच होगा है। आईपीएल के दौरान सभी फ्रेंचाइजी टीमों को बायो बबल में रहना होगा। टीम का सपोर्ट स्टाफ भी बायो बबल का हिस्सा होगा। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा कि बायो बबल में रहना चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस मामले में इंडियन क्रिकेटर्स इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के क्रिकेटर्स के तुलना में ज्यादा सहनशील हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट के शुरू होने के बाद से खिलाड़ियों को बायो-बबल में रहना बाध्यता है। खिलाड़ियों का जीवन होटलों और स्टेडियमों तक ही सीमित है। गांगुली ने कहा कि मुझे लगता है कि विदेशी क्रिकेटरों की तुलना में हम भारतीय थोड़े अधिक सहनशील हैं। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलियाई और वेस्टइंडीज के बहुत सारे क्रिकेटरों के साथ खेला है। वे मानसिक स्वास्थ्य पर जल्दी हार मान जाते हैं। गांगुली ने कहा कि पिछले छह-सात महीने से बायो-बबल में क्रिकेट हो रहा है। बायो बबल काफी मुश्किल है।

होटल के कमरे से मैदान पर जाना, खेल के दबाव को संभालना और वापस कमरे में आ जाना और फिर से मैदान पर जाना, यह बिल्कुल अलग तरह की जिंदगी है। गांगुली ने इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण अफ्रीका दौरे से हटने का उदाहरण दिया। गांगुली ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को देखना होगा। भारत के खिलाफ सीरीज के बाद उन्हें दक्षिण अफ्रीका का दौरा करना था लेकिन उन्होंने मना कर दिया। गांगुली ने कहा कि कोविड-19 का खतरा हमेशा बना रहेगा। आपको पॉजिटिव रहना होगा। उन्होंने कहा कि आपको खुद को मानसिक रूप से तैयार करन होगा।

उन्होंने कहा कि आपको ऐसी स्थिति से निपटना होगा। यह आपकी मानसिकता के बारे में है। गांगुली ने कहा कि जब आप पहला टेस्ट खेलते है तो खुद को दुनिया के सामने साबित करने का दबाव होता है। और लगातार अच्छा कर खुद को साबित करने के बाद जब आपका खराब दौर आता है। लोग आप पर सवाल उठाने से पीछे नहीं हटते है। यह खिलाड़ी की जिंदगी में लंबे समय तक चलता है।