छत्तीसगढ़ में दो सप्ताह से भी कम समय में दूसरा नक्सली हमला होने के बाद केन्द्र और राज्य सरकार के तेवर सख्त हो गये हैं। दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें देश को स्तब्ध कर देने वाले ताजा नक्सली हमले के परिप्रेक्ष्य में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई। नक्सली हमले में सुरक्षा बलों के 27 जवान शहीद हो गये और 46 से अधिक घायल हैं। बीजापुर हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुठभेड़ में घायल हुए जवानों से मुलाकात की। उन्होंने जवानों का हालचाल जाना और हौसला अफजाई की। अमित शाह ने जवानों के साथ खाना भी खाया। जगदलपुर में दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के मुद्दे पर राज्य सरकार के साथ रणनीति बनाई। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को भरपूर साथ देने का आश्वसान दिया। माना जा रहा है केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से नक्सलियों के खिलाफ बहुत बड़ी कार्रवाई की तैयारी है। सुरक्षा बल ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार करने में जुट गए हैं। उन्हें बिल्कुल पिन-पॉइंटेड ऑपरेशन करने का खाका खींचने के कहा गया है। गुरिल्ला दल में शामिल नक्सलियों का पूरी तरह सफाया किया जाएगा।
गृह मंत्री शाह ने कहा भी कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। सुरक्षा बलों के शौर्य एवं शहादत की तार्किक परिणति सामने आएगी। माओवादियों के खिलाफ लड़ाई को तेज किया जाएगा, आखिर में हमारी ही जीत होगी, जवान जीतेंगे। राज्य सरकार के कई सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि नक्सली कमांडर हिडमा को मार गिराने की योजना बन गई है। हिडमा केंद्र और राज्य सरकारों के निशाने पर आ गया है। हिडमा ही पिछला हमला करवाया था और उसी की अगुवाई में पिछले एक दशक में कई बड़े नक्सल हमले हुए हैं।
सुरक्षा बलों पर ताकुलगुड़ा में हुए बर्बर हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, केंद्रीय गृह सचिव एके भल्ला, भारत सरकार के सुरक्षा सलाहकार के विजयकुमार, सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह, आईबी के डायरेक्टर अवरिंद कुमार, छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी, स्पेशल डीजी (नक्सल ऑपरेशन) अशोक जुनेजा और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों की सोमवार को बैठक हुई। इस बैठक में नक्सलियों के खिलाफ अभियानों की विस्तृत योजना का खाका तैयार किया गया है। तेलंगाना और ओडिशा की सीमा से सटे सुकमा के जंगल में सक्रिय माओवदी कमांडरों की सूचना भी जुटाई जा चुकी है।
नक्सलियों के खिलाफ जल्द ही संयुक्त अभियानों की शुरुआत हो सकती है। बस्तर डिविजन का दक्षिणी इलाके में माओवादियों का गढ़ है। माओवादी यहां अपनी गतिविधियों को अंजाम देकर जंगल के अंदर ही अंदर महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा की तरफ भाग निकलते हैं। यहां बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के लिए माओवादियों के गुरिल्ला दस्ता दूसरे क्षेत्रों से भी आते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने अपनाई ये रणनीति
कश्मीर के आतंकियो की तरह ही शीर्ष नक्सल कमांडरों की सूची तैयार कर उन्हें ढेर किया जाएगा। बंदूक न छोड़ने वाले नक्सली कमांडर किसी भी सूरत में नहीं छोड़े जाएंगे। सूत्रों ने कहा सुरक्षा बलों ने आपस मे शीर्ष कमांडरों की एक सूची साझा की है। नक्सल कमांडर हिडमा इसमे सबसे ऊपर है। नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े अभियान का खाका तैयार हुआ है। इसके तहत एक समन्वित ऑपरेशन चलाया जाएगा, जिसकी कमान केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथ होगी और स्थानीय बल व विशेष दस्ते इसमे शामिल होंगे। नक्सल गतिविधियों की सटीक जानकारी के लिए एनटीआरओ की मदद ली जाएगी। नक्सलरोधी अभियान के लिए ह्यूमन इंटेलिजेंस और टेक्निकल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाएगा। एनटीआरओ सुरक्षा एजेंसियों को रियल टाइम जानकारी देने में मदद करेगा। अभियान को ऑपरेशन प्रहार-3 का नाम दिया गया है। शीर्ष नक्सल कमांडरों की सूची में पीएलजीए- 1 का सबसे बड़ा कमांडर हिडमा शामिल है। हिड़मा के अलावा कमलेश उर्फ लछु, साकेत नुरेती, लालू दंडमी,मंगेसग गोंड,राम जी,सुखलाल,मलेश आदि नाम सूची में शामिल हैं। ये नक्सलियों की अलग-अलग कंपनियों के कमांडर हैं। ऑपरेशन के दौरान सटीक लोकेशन की जानकारी और बैकअप के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद लेने पर भी विचार चल रहा है। विशेष प्रशिक्षित कमांडो दस्तों को ही नक्सलियों के कोर गढ़ में भेजा जाएगा।