बाढ़, सूखा, बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि सहित तमाम तरह की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए यूपी अब ज्यादा फोकस तैयारी कर सकेगा। प्रदेश को इस काम के लिए अगले पांच वर्ष में 14,246 करोड़ रुपये मिलेंगे। 15वें वित्त आयोग की संस्तुति के क्रम में राज्य के आवंटन में हर वर्ष वृद्धि होगी। यह आवंटन 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत होने वाले आवंटन से करीब चार गुना ज्यादा होगा।
14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों पर प्रदेश को वित्त वर्ष 2015-16 से 2019-20 के बीच पांच वर्ष में कुल 3,729 करोड़ रुपये मिले। 15वें वित्त आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए 2020-21 के लिए 2578 करोड़ रुपये की सिफारिश की थी। अब वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिए अंतिम रिपोर्ट सौंपते हुए आयोग ने प्रदेश को प्रति वर्ष 2578 करोड़ रुपये या इससे अधिक आवंटन की संस्तुति की है। आयोग ने बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप व अन्य आपदाओं से जोखिम का आकलन करते हुए यूपी का आवंटन तय किया है।
आपदा जोखिम प्रबंधन के इस मद में केंद्र व राज्य की हिस्सेदारी पूर्व की तरह 75:25 अनुपात की बनी रहेगी। केंद्र सरकार अगले पांच वर्ष में यूपी को 10,685 करोड़ रुपये देगा जबकि यूपी सरकार इसमें 3561 करोड़ का अंशदान करेगी।
15वें वित्त आयोग ने इस तरह की आवंटन की संस्तुति
वित्त वर्ष– आवंटन (करोड़ रुपये में)
2021-22– 2578
2022-23– 2707
2023-24– 2842
2024-25– 2985
2025-26– 3134
योग– 14,246 करोड़
महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा आवंटन यूपी को
15वें वित्त आयोग ने राज्य आपदा मोचक प्रबंधन फंड के जिस फार्मूले पर राज्यों की हिस्सेदारी तय की है, उसमें महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा आवंटन यूपी को मिलेगा। महाराष्ट्र को पांच वर्ष में 23737 करोड़ रुपये मिलेंगे जबकि यूपी को 14246 करोड़। इसके बाद 13,411 करोड़ मध्य प्रदेश को, 11,819 करोड़ उड़ीसा, 10,913 करोड़ राजस्थान व 10432 करोड़ रुपये बिहार को मिलेंगे।