कर्नाटक में कांग्रेस की जीत तो हो गई मगर सीएम पद को लेकर खींचतान मची हुई है. दो दिन पहले जब कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि हमारे और सिद्धारमैया के बीच सब कुछ सही है तो लगा कि ये विवाद सुलझ जाएगा. मगर ऐसा नहीं है. इसी वजह से जब से कांग्रेस की जीत हुई है तब से बैठकों का दौर लगा है. आलाकमान का झुकाव सिद्धारमैया की तरफ है मगर डीके शिवकुमार को किसी भी तरह पार्टी नाराज नहीं कर सकती. इसी बीच डीके ने बयान दिया है कि सिद्धारमैया के कार्यकाल में लोग नाराज थे.
डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया के बीच पुरानी रार है. लेकिन चुनाव के वक्त दोनों नेताओं ने एकजुटता का संदेश दिया. कांग्रेस को पूर्ण बहुमत तो मिल गया मगर अब सबसे बड़ी समस्या ये है कि सीएम किसे बनाया जाए. नए चेहरे को मौका दिया जाए या फिर अनुभव को तरजीह. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक डीके शिवकुमार ने पार्टी आलाकमान से साफ कह दिया है कि सिद्धारमैया को एक मौका दिया जा चुका है. अब उनकी बारी है. यानी की अब शिवकुमार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है.
खरगे की माथापच्ची
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कर्नाटक से ही आते हैं. यहां की राजनीतिक स्थितियों से वो वाकिफ हैं. डीके ने खरगे से कहा कि 2019 में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद उन्होंने पार्टी को संगठित करने पर काम किया. कार्यकर्ताओं में विश्वास भरा. शिवकुमार ने दिल्ली में खरगे से मुलाकात की. इसी दौरान कहा कि या तो मुझे सीएम बना दो, या फिर विधायक की रहने दो. जीत के बाद सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों ही दिल्ली पहुंचे थे.
आलाकमान को खरगे की टो टूक
डीके शिवकुमार ने खरगे से ये भी कहा कि पूर्व सीएम सिद्धारमैया को एक बार मौका मिल चुका है. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार से जनता नाखुश थी. डीके ने कहा कि यहां का लिंगायत समुदाय सिद्धारमैया के खिलाफ हो गया था. सोनिया गांधी फिलहाल शिमला में हैं. पार्टी विधायकों का गुप्त मतदान के बाद ही कुछ फैसला ले सकती है. सभी विजयी विधायकों को कहा जाएगा कि गुप्त मतदान के जरिए वो बताएं कि किसको कर्नाटक का सीएम बनाना चाहिए. इसके बाद आलाकमान कुछ फैसला करेगा.