महिलाओं के लिए खतरा बन चुके एक अपराधी को स्कॉटलैंड की अदालत (Scotland Court) ने वापस अफगानिस्तान (Afghanistan) भेजने से इनकार कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. दरअसल, मूल रूप से अफगान निवासी इब्राहिम अहमदी (Ibrahim Ahmadi) को बलात्कार (Rape) के मामले में दोषी करार दिया था. सजा पूरी करने के बाद जब उसे वापस अफगानिस्तान भेजा जाने लगा तो वो अदालत पहुंच गया, जहां अब उसके पक्ष में फैसला आया है.
Ahmadi ने कोर्ट में दी ये दलीलें
स्कॉटलैंड की अदालत ने इब्राहिम अहमदी (Ibrahim Ahmadi) की उन दलीलों को स्वीकार कर लिया, जिसमें उसने तालिबान (Taliban) से जान का खतरा बताया था. अहमदी ने कहा कि वो अल्पसंख्यक समुदाय Hazaras से ताल्लुख रखता है, जिसकी वजह से उसे अपने देश में प्रताड़ित किया जाएगा. इसके अलावा तालिबान यौन अपराधियों के खिलाफ बर्बर सलूक करता है. इसलिए उसे यहीं रहने दिया जाए. हालांकि, ये बात अलग है कि अफगान की नई सरकार में हजारा जातीय समूह के दो सदस्यों को जगह मिली है.
इब्राहिम अहमदी को ग्लासगो में एक महिला से बलात्कार का दोषी करार दिया गया था. इसके बाद उसका शरणार्थी का दर्जा छीन लिया गया था. सरकार उसे वापस अफगानिस्तान भेजना चाहती थी, लेकिन वो कोर्ट चला गया. मामले के सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने माना कि अगर उसे वापस भेजा गया तो कट्टरपंथी तालिबान उसे अपना शिकार बना सकता है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक, 29 वर्षीय अहमदी फिलहाल यूके में ही रहेगा.
2007 में UK आया था अहमदी
कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए स्कॉटलैंड में शैडो कम्युनिटी सेफ्टी मिनिस्टर रसेल फाइंडले ने कहा, ‘ये फैसला बेहद चिंताजनक है और दर्शाता है कि आम जनता की सुरक्षा से ज्यादा एक रेपिस्ट के मानवाधिकारों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है’. अहमदी 2007 में 15 साल की उम्र में ब्रिटेन पहुंचा था. उसका दावा था कि तालिबान ने उसे बंधक बना लिया था और वो मुश्किल से बचकर आया है. हालांकि, सरकार ने उसे शरण देने से इनकार कर दिया था, लेकिन उसने सरकार के फैसले के खिलाफ अपील की और जीती. इसके बाद से वो यूके में रह रहा है. बलात्कार की घटना को अंजाम देने से पहले उसे लैनार्कशायर में एक महिला को धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
‘महिलाओं के लिए है खतरा’
बलात्कार के मामले में अहमदी को सात साल की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में घटाकर पांच साल कर दिया गया. सामाजिक संगठनों का मानना है कि अहमदी लोगों खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए खतरा है, लिहाजा उसे वापस भेजा जाना चाहिए. हालांकि, अब कोर्ट के फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल उए मुमकिन नहीं. इस अफगानी नागरिक ने 2019 में आम जनता के टैक्स के पैसों से सरकार के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर की थी, उसने कहा था कि तालिबान उसे मार डालेगा. मामले की सुनवाई करने वाली दो जजों की बेंच ने उसकी इस दलील को सही मानते हुए उसके पक्ष में फैसला सुनाया.