महाराष्ट्र (Maharashtra) में बनी मिली-जुली सरकार के बीच एक बार फिर कलह देखने को मिल रहा है. शिवसेना (Shiv Sena) एनसीपी (NCP) की ओर से लगातार बयान जारी कर ये आश्वासन दिया जा रहा है कि पार्टी में सब कुछ सही है, लेकिन कितना सही है इसकी हकीकत अब साफ स्पष्ट होते हुए दिखाई दे रही है. दरअसल दोनों पार्टियों के बीच सियासत गरमा चुकी है नेताओं के आपस में मतभेद हो रहे है. इसी बीच सरकार के फैसलों में एनसीपी की ओर से बार-बार की जा रही दखलअंजादी से परेशान होकर परभणी से शिवसेना सांसद संजय जाधव (Sanjay Jadhav) ने लोकसभा की सदस्यता से हाल ही में अपना इस्तीफा दे दिया है.
बताया जा रहा है कि संजय जाधव की ओर से मुख्यमंत्री (Uddhav Thackeray) को जो इस्तीफा पत्र लिखा गया है उसके जरिए उन्होंने कहा है कि, मैं शिवसेना कार्यकर्ताओं के साथ न्याय करने में असहाय हूं. दरअसल संजय जाधव ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा है कि महाराष्ट्र पार्टी (Maharashtra Party) में जैसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं उसे लेकर मैं पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ न्याय करने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहा हूं, इसलिए ऐसी परिस्थिति में मुझे सांसद के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.
आगे पत्र के जरिए उन्होंने ये भी कहा कि बीते 10 महीने से वो परभणी में जिंतुर नगरपालिका के प्रशासक की नियुक्ति से संबंधित कार्य को संभाल रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी हाल ही में एक एनसीपी पार्टी से जुड़े व्यक्ति को गैर-सरकारी प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया है. जिसके बारे में संजय जाधव का कहना है कि ऐसे में किसी भी शख्स को बिना सूचित किए पदभार दे देना शिवसेना पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए अपमानजनक बात है.
ये पहली बार नहीं है जब गठबंधन सरकार में इस तरह की कलह देखने को मिली हो. इससे पहले भी सरकार बनने के बाद ऐसे कई वाक्या सामने आ चुके हैं. आपको याद दिला दें कि महाराष्ट सरकार बनाने में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की पार्टी है. लेकिन पद को लेकर कई बार गठबंधन के बीच आपसी मतभेद होते रहे हैं. आए दिन इस तरह की जानकारियां निकलकर सामने आती ही रहती है. हालांकि हर बार पार्टी इस बात से पलड़ा झाड़ते हुए दिखाई देती है कि ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन सच का मुंह कितने दिन बंद रहेगा ये तो संजय जाधव के दिए हुए इस्तीफे से ही पता चल जाता है.