भारत (India) ने कहा है कि यूक्रेन में फंसे (Stranded in Ukraine) भारतीयों को निकालने (Evacuation of Indians) में वहां सीमाओं की प्रतिकूल स्थितियां (Unfavorable Conditions) अड़चन बनी हुई हैं (The Bottleneck Remains) । उसने पड़ोसी तथा अन्य विकसित देशों के फंसे हुए नागरिकों को भी निकालने की पेशकश की है।
भारत ने सोमवार को सुरक्षा परिषद तथा महासभा की समानांतर बैठक में कहा था कि वह रूसी हमले के कारण तबाह हुए यूक्रेन को राहत सामग्री की आपूर्ति करेगा। भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने दो बैठकों में इसी तरह की घोषणाएं की थीं।
यूक्रेन में मानवीय सहायता मामले पर फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा बुलाई गई सुरक्षा परिषद की बैठक में, तिरुमूर्ति ने कहा “यूक्रेन में मानवीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, मेरी सरकार ने दवाओं सहित तत्काल राहत आपूर्ति प्रदान करने का भी निर्णय लिया है। इनके मंगलवार तक आने की उम्मीद है।” उन्होंने कहा,”हम पड़ोसियों और विकासशील देशों के उन लोगों की मदद के लिए तैयार हैं जो यूक्रेन में फंसे हुए हैं और मदद मांग सकते हैं।”
महासभा की आपातकालीन बैठक को परिषद द्वारा 1950 के “यूनाइटिंग फॉर पीस” संकल्प द्वारा निर्धारित मानदंडों के तहत रूस के यूक्रेन पर हमले घटना की निंदा करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन इस प्रस्ताव का वीटो कर रूस ने स्थायी सदस्यों के बीच मतभेद पैदा कर परिषद को पंगु बना दिया था। यह केवल 11वां आपातकालीन सत्र था और पिछले 40 वर्षों में सुरक्षा परिषद द्वारा बुलाया जाने वाला पहला सत्र था।
दोनों बैठकों में तिरुमूर्ति ने यूक्रेन में बिगड़ती स्थिति पर भारत की गहरी चिंता व्यक्त की और इस स्थिति को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि भारत वहां फंसे अपने हजारों नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जिनकी निकासी यूक्रेन के पड़ोसियों के साथ सीमाओं पर प्रतिकूल स्थिति से बाधित हो रही थी।
तिरुमूर्ति ने महासभा में कहा, “सीमाओं पर बदल रही स्थिति से वहां हमारे निकासी प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सीमा की जटिल और अनिश्चित स्थितियों ने लोगों की निर्बाध आवाजाही को बहुत प्रभावित किया है। इस महत्वपूर्ण मानवीय आवश्यकता पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यूक्रेन में मानवीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों तक मुफ्त और निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने की जरूरत है। यह देखते हुए कि मेरी सरकार के लिए भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है, भारत सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में विशेष दूत के रूप में तैनात किया जा रहा है।”
गौरतलब है कि हरदीप पुरी को हंगरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानिया और मोल्दोवा, किरेन रिजिजू को स्लोवाकिया और वी.के. सिंह को निकासी में मदद करने के लिए पोलैंड भेजा गया।
तिरुमूर्ति ने निकासी में मदद करने के लिए उन देशों को धन्यवाद दिया। तिरुमूर्ति ने महासभा में कहा, “संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश न केवल संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने के लिए बाध्य हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून, क्षेत्रीय अखंडता और देशों की संप्रभुता का भी सम्मान करते हैं। ” उन्होंने कहा कि भारत ने यूक्रेन और रूस के बीच सोमवार को बेलारूस सीमा पर शुरू हुई सीधी बातचीत का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्डिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत के दौरान शत्रुता को समाप्त करने और कूटनीति प्रयासों से मामले को हल करने की वकालत की है।तिरूमूर्ति ने कहा, “हम एक बार फिर अपनी उसी बात को दोहराते हैं कि आपसी हितों को लेकर जो भी मतभेद हैं उन्हें केवल ईमानदार और निरंतर बातचीत के माध्यम से ही पाटा जा सकता है।”
फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि निकोलस डी रिवेरे ने सुरक्षित और निर्बाध मानवीय पहुंच का आह्वान करते हुए परिषद में कहा कि नागरिकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा एक पूर्ण प्राथमिकता है और इसे लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि फ्रांस और मैक्सिको सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश करेंगे जिसमें मानवाधिकार कानूनों का पूरा सम्मान करने और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए निर्बाध पहुंच का आह्वान किया जाएगा।
मानवीय मामलों के प्रभारी उपमहासचिव माटिर्ंग ग्रिफिथ्स ने जिनेवा से एक वीडियो संबोधन में कहा, “हम सभी यूक्रेन में सैन्य हमले को अविश्वास और आतंक के रूप में देख रहे हैं। हवाई और जमीनी हमलों से लोगों के हताहत होने के अलावा पुलों, स्वच्छता और बिजली सुविधाओं जैसे नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है। इससे लोगों को प्रतिदिन की आधारभूत सुविधाओं की कमी से दो चार होना पड़ता है।”
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने भी एक वीडियो लिंक के माध्यम से कहा कि पड़ोसी देशों में पहले से ही 5,20,000 यूक्रेनी शरणार्थी थे और अब ऐसे लोगों की संख्या में चालीस लाख का और इजाफा होगा।
रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि रूसी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में सेना सहायता प्रदान कर रही है और वहां कोई तात्कालिक मानवीय आवश्यकता नहीं है।उन्होंने यह भी दावा किया कि रूस का “यूक्रेन पर कब्जा करने का उद्देश्य नहीं है”।
महासभा में एक के बाद जितने भी वक्ता बोले,उन सभी ने यूक्रेन पर रूसी हमले की स्पष्ट तौर पर आलोचना की या फिर संयुक्त राष्ट चार्टर और देशों की क्षेत्रीय अस्मिता का सम्मान करने पर जोर दिया, लेकिन सीरिया ही एक मात्र ऐसा देश था जिसने रूस का जबर्दस्त बचाव किया है।
केन्या परिषद का एक निर्वाचित सदस्य है और इसके स्थायी प्रतिनिधि मार्टिन कियू ने इस मामले में परिषद की अक्षमता को लेकर खेद व्यक्त किया है। उन्होंने यह भी कहा कि परिषद को पुनर्गठित किए जाने की आवश्यकता है।