नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार के साथ बातचीत के बावजूद हल नहीं निकलने से नाराज किसान लंब वक्त तक प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। किसानों ने आज दिल्ली की सीमाओं और पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च निकाला। किसान पहले यह मार्च बुधवार को ही निकालने वाले थे, लेकिन मौसम को देखते हुए इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया। किसानों ने कहा है कि यह 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर आयोजित किए जाने वाले ट्रैक्टर मार्च का पूर्वाभ्यास है। बता दें कि किसानों और सरकार के बीच आठ जनवरी की आठवें दौर की बातचीत होनी है। इससे पहले किसानों कृषि कानूनों का विरोध और तेज करने की बात कही है।
– भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को कहा कि किसानों को ट्रैक्टर मार्च का आह्वान करने से पहले आठ जनवरी के लिए निर्धारित वार्ता के अगले दौर तक इंतजार करना चाहिए था। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए कहा कि जब बातचीत चल रही हो तो किसी भी आंदोलन का आह्वान करना सही नहीं है। ट्रैक्टर मार्च के लिए बुलाने से पहले किसानों को केंद्र के साथ आठ जनवरी तक की वार्ता का इंतजार करना चाहिए था। पिछले दो दौर की वार्ता एक सकारात्मक रही है और हम अगले दौर में समाधान को लेकर आशान्वित हैं।
केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि जिस तरह कम्युनिस्ट लोग राजनीति के लिए आग में घी डाल रहे हैं। वे नहीं चाहते कि देश में शांति हो। मैं किसान यूनियन के भाईयों से कहना चाहता हूं कि शांति बनाए रखें। सरकार वार्ता के लिए हमेशा तैयार है। कल की तारीख भी तय है। कल निश्चित रूप से समाधान निकलेगा।
किसानों के प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका जताई है। केंद्र सरकार से भीड़ को लेकर दिशा-निर्देश जारी करने करने को कहा। कोर्ट ने किसान प्रदर्शन में एकत्र भीड़ पर चिंता जताते हुए कहा कि तबलीगी जमात जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने गुरुवार को आंदोलन कर रहे किसानों से विरोध मार्च को शांतिपूर्ण रखने की अपील की और जोर देकर कहा कि सरकार कल एक प्रस्ताव को लेकर आशान्वित है।