सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दुष्कर्म मामलों में जांच के लिए इस्तेमाल होने वाले ‘टू फिंगर टेस्ट’ Two Finger Test in Rape Case) पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट (Court) ने कहा कि ऐसे टेस्ट करवाने वालों पर अब मुकदमा चलाया जाएगा।
दरअसल, 31 अक्टूबर को जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ‘टू फिंगर टेस्ट’ एक महिला को दोबारा उस तकलीफ से गुज़रने पर मजबूर करना है जिससे वो पहले ही जूझ रही है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे टेस्ट करवाने वालों पर अब मुकदमा चलाया जाएगा। रेप के दोषी को आरोपमुक्त किए जाने के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह फैसला सुनाया।जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि साल 2003 में सुप्रीम कोर्ट टू फिंगर टेस्ट पर बैन लगा चुका है। इसके बावजूद आज भी रेप के मामले की पुष्टि के लिए इस तरह के टेस्ट को किया जाता है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह महिलाओं के सम्मान को फिर से आघात पहुंचाता है। इसलिए रेप के मामलों में 2 अंगुलियों का परीक्षण नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने ऐसे टेस्ट करने वाले पुलिस और मेडिकल कर्मियों को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर ऐसा कोई टेस्ट संज्ञान में आया तो उनके खिलाफ मिस-कंडक्ट की कार्रवाई की जाएगी। पीड़ितों के परीक्षण के सही तरीके के बारे में जागरूकता फैलाने के मकसद से वर्कशॉप आयोजित की जाए। मेडिकल स्कूलों के पाठ्यक्रम में जरूरी बदलाव किए जाएं ताकि छात्रों को इस टेस्ट के बैन के बारे में स्पष्टता रहे.