बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) शुरू होने वाला है, लेकिन उससे पहले ही देश की सबसे बड़ी पार्टी के बीच हलचल मच गई है. भाजपा को एक के बाद एक तगड़ा झटका लग रहा है. हाल ही में जहां पंजाब (Punjab) के शिरोमणि अकाली दल और पश्चिम बंगाल (West Bengal) के गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने बीजेपी का दामन छोड़कर सबको चौंका दिया था. तो वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) को केरल (Kerala) से भी निराश होना पड़ा है. जी हां शनिवार को केरल कांग्रेस (पीसी थॉमस गुट) ने ये घोषणा की थी कि, वो रविवार को एनडीए छोड़ने के लिए ऑफिशियल बयान जारी करेंगे. इस बारे में बात करते हुए पीसी थॉमस ने बताया था कि, ‘NDA की तरफ से जितनी भी सीट देने का हमें, वादा किया गया था, वो हमें नहीं मिली.
आगे उन्होंने ये भी कहा कि, इस समय NDA से अलग होने के सिवा हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. इसलिए रविवार को हम ऑफिशियल अनाउंसमेंट करेंगे. बातचीत के दौरान उन्होंने ये बात भी कही कि कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने यूडीएफ में शामिल होने का न्योता दिया है. इसलिए रविवार को हम अपना निर्णय आप सब के बीच साझा करेंगे.’ बता दें कि इस बयान से पहले ही बुधवार को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से अलग राज्यों को लेकर आंदोलन करने के बाद साल 2017 से फरार हुए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) सुप्रीमो बिमल गुरूंग ने बताया था कि, उनका संगठन NDA का साथ छोड़ रहा है. इसकी वजह के बारे में बात करते हुए उन्होंने अपने बयान में कहा था कि, केंद्र सरकार पहाड़ी इलाकों के लिए स्थायी राजनीतिक हल निकालने में नाकाम साबित रही है.
22 साल पुरानी टूटी दोस्ती
बीजेपी को पहला झटका 26 सितंबर की शाम को लगा था. जब शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कृषि विधेयक के चलते भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से किनारा करने का ऐलान कर दिया था. दरअसल उन्होंने ये फैसला पार्टी की कोर समिति की मीटिंग होने के बाद किया था. इस फैसले के बारे में बात करते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि, ‘शिरोमणि अकाली दल का फैसला करने वाली सर्वोच्च इकाई कोर समिति की रात में हुई आपात मीटिंग में बीजेपी से नाता तोड़ने का निर्णय सभी की सहमति के आधार पर लिया गया है.’ हैरानी की बात तो ये थी कि, बीजेपी और अकाली दल का ये रिश्ता आज का नहीं बल्कि 22 साल पुराना था. जो एक झटके में भाजपा ने खो दिया.