उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही नहीं उनके दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा भी विधानसभा चुनाव मैदान में उतरेंगे। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव भी मैदान में उतर सकते हैं। योगी जहां अयोध्या से ताल ठोककर आसपास की लगभग तीन चार दर्जन सीटों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे वहीं केशव संभवत: फाफामऊ और दिनेश शर्मा लखनऊ से दावेदारी ठोकेंगे। माना जा रहा है कि कुछ सांसदों को भी मैदान में उतारा जा सकता है।
उत्तर प्रदेश की लगभग साढ़े तीन दशक की परंपरा को तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार सत्ता मेंआने की कोशिश में जुटी भाजपा मुद्दों और चेहरों का ऐसा सामंजस्य बिठाना चाहती है जो बड़े क्षेत्र को विश्वसनीय ढंग से प्रभावित कर सके। वैसे इस पूरी रणनीति का दूसरा पहलू यह भी है कि इससे सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर भी चुनाव लड़ने का दबाव बनेगा। वह कौन सी सीट चुनते हैं यह भी रोचक होगा। ध्यान रहे कि वर्तमान में वह आजमगढ़ से सांसद हैं।
पिछले तीन दिनों से दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ इन सभी पर चर्चा हुई और माना जा रहा है कि एक दो दिनों में पहले दो चरणों के लगभग 94 उम्मीदवारों की सूची घोषित हो सकती है। कुछ नाम रोके गए हैं और उसपर निर्णय लेने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को दे दिया गया है।
केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि भाजपा मुख्यालय में 172 नामों पर चर्चा हो गई है लेकिन सूत्रों का कहना है कि सभी नाम अभी घोषित नही किए जाएंगे। दरअसल साथी दलों के साथ भी चर्चा पूरी होने तक ऐसे नाम रोके जा सकते हैं जिन क्षेत्रों में सहयोगी दलों की भी रुचि हो।
गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की मौजूदगी में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। इसमें गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद, दिनेश शर्मा, प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव समेत कुछ अन्य नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आनलाइन मीटिग में हिस्सा लिया।
सूत्रों के अनुसार यह तय हो गया है कि सभी बड़ी चेहरे मैदान में उतरेंगे। दरअसल इससे जनता और कार्यकर्ताओं दोनों में विश्वास पैदा होता है। पिछले तीन दिनों में अमित शाह के अध्यक्षता में भाजपा कोर ग्रुप की लंबी बैठक हो चुकी है। बताते हैं कि बुधवार को संजय निषाद की भी अमित शाह के साथ बैठक हो चुकी है। अपना दल की अनुप्रिया पटेल की भी भाजपा के साथ चर्चा हो चुकी है।
बताया जाता है कि मौटे तौर पर सहयोगी दलों को दी जाने वाली सीटो की संख्या पर तय है लेकिन इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। सच्चाई यह है कि पिछले कुछ दिनों में भाजपा से नेताओं के जाने के बाद सहयोगी दलों का बल थोड़ा बढ़ा हुआ है और वह ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। मसलन अपना दल को पिछली बार लगभग एक दर्जन सीट मिली थी लेकिन इस बार 20 से ज्यादा सीटों की मांग हो रही है। बताया जा रहा है कि मकर संक्राति के साथ ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा शुरू हो जाएगी।