यदि किसी की कुंडली में सूर्य दूषित होता है या फिर उनकी जन्म राशि सिंह है तो उन्हें माणिक्य रत्न पहनने को कहा जाता है। ये रत्न कई रंगों में पाया जाता है मगर खासकरलाल और गुलाबी रंग का माणिक्य ही सबसे अच्छा माना जाता है। माना जाता है कि ये रत्न आने वाले संकट के बारे में पहले ही बता देता है। इस रत्न को पुखराज के साथ धारण करना फायदेमंद माना जाता है। आज हम आपको बताएंगे इस रत्न के और कई चमत्कारी फायदे…
रत्न के लाभ: ज्योतिष के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ने वाला है या फिर कोई बड़ी दुर्घटना होने वाली है तो ये रत्न अपना रंग परिवर्तित कर देता है। इस रत्न को धारण करने से पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में अफलता नहीं मिलती हैं। ज्योतिष कि माने तो इस रत्न को पहनने से न सिर्फ वित्तीय स्थिति में सुधार होता है बल्कि स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। ये रत्न हड्डियों, आंखों और हृदय संबंधी रोगों में काफी लाभकारी होता है। इसके असर से मान-सम्मान में काफी वृद्धि होती है।
कौन पहन सकता है : वैदिक ज्योतिष शास्त्र कि मानें तो सिंह राशि वालों के लिए ये रत्न बहुत ही शुभ माना जाता है। सिंह राशि के जातक इसे बर्थ-स्टोन के रूप में धारण कर सकते हैं। साथ ही मेष, वृश्चिक, धनु और मीन राशि के जातक इसे ज्योतिषीय की सलाह से धारण कर सकते हैं। वृषभ लग्न वाले विशेष दशाओं में माणिक्य पहन सकते हैं। वहीं कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुम्भ लग्न वालों के लिए ये रत्न फायदेमंद नहीं होता है।
इन रत्नों के साथ कर सकते हैं धारण: माणिक्य को नीलम, हीरा और गोमेद के साथ कभी नहीं पहनना चाहिए। वहीं मोती, पन्ना, मूंगा और पुखराज के साथ इसे पहना जा सकता है। माणिक्य को लोहे की अंगूठी में जड़वाकर नहीं पहनना चाहिए। इस रत्न का असर 4 वर्षों तक रहता है उसके बाद इसे चेंज कर लेना चाहिए।
धारण करने की विधि: इस रत्न को तांबे या सोने की अंगूठी में पहनना चाहिए। माणिक्य को धारण करने से पहले इसे एक रात पहले शहद, मिश्री, गंगाजल व दूध के घोल में डालकर रख दें। फिर इसे शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को सूर्य उदय के बाद अपने दाएं हाथ की अनामिका अंगुली में धारण कर लें।