सुप्रीम कोर्ट में आज यानि वीरवार को कई अहम फैसले होने जा रहे हैं। इनमें बिलकिस बानों के दोषियों की रिहाई को चुनौती, पंजाब में पीएम की सुरक्षा में चूक, ईडी को दी गई शक्ति के अलावा पेगासस जासूसी का मामला शामिल है। बता दें कि ये सभी मुद्दे राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम माने जा रहे हैं क्योंकि इन मामलों पर बीते दिनों में जमकर सियासत हुई है।
गौर हो कि बिलकिस बानो मामले में दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस याचिका में सभी दोषियों की सजा पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई गई है। बता दें कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे और इसी दंगे के दौरान बिलकिस बानों के परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं दंगाइयों ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया था।
दरअसल, जुलाई 2021 में एक मीडिया समूह ने खुलासा करते हुए कहा था कि भारत सरकार ने 2017 में इस्राइल का जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदा था। यह स्पाईवेयर दुनियाभर के कई देशों में पत्रकारों-व्यापारियों की जासूसी के लिए इस्तेमाल हो रहा है। भारत में भी इसके जरिए कई नेताओं और बड़े नामों की जासूसी की बात कही गई थी। इसमें कहा गया था कि मोदी सरकार ने पांच साल पहले दो अरब डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रुपये) का जो रक्षा सौदा इस्राइल से किया था, उसमें पेगासस स्पाईवेयर की खरीद भी शामिल थी। इस रक्षा डील में भारत ने कुछ हथियारों के साथ एक मिसाइल सिस्टम भी खरीदा था।
पांच जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पंजाब के फिरोजपुर में दौरा था। भारी बारिश के कारण पीएम को सड़क मार्ग से जाना पड़ा लेकिन इस दौरान हुसैनीवाला से 30 किलोमीटर दूर रास्ते में प्रदर्शनकारी मिल गए जिस कारण उनका काफिला तकरीबन 20 मिनट बेहद असुरक्षित क्षेत्र में रुका रहा। जिस इलाके में पीएम मोदी का काफिला रुका था, वह आतंकियों के अलावा हेरोइन तस्करों का गढ़ माना जाता है। पिछले साल सितंबर माह में इसी क्षेत्र में आतंकी वारदात को अंजाम दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति की कुर्की, तलाशी और जब्ती से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की शक्तियों को बरकरार रखने के अपने आदेश की समीक्षा पर आज सुनवाई करेगा। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई को पीएमएलए कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय(ED) के सभी अधिकारों को बरकरार रखा। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने एक बार फिर समिक्षा याचिका लगाई।