भारत (India) के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण (Chief Justice NV Raman) ने डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा (Increasing violence against doctors) व उनके खिलाफ झूठे मामले (false cases) दर्ज किए जाने पर शनिवार को गंभीर चिंता व्यक्त की. न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि वह डॉक्टरों की अटूट भावना के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहेंगे जो अपने मरीजों के लिए चौबीसों घंटे काम करते हैं. सीजेआई ने कहा, ‘डॉक्टर परामर्शदाता, मार्गदर्शक, दोस्त और सलाहकार होते हैं. उन्हें हमेशा समाज का सक्रिय सदस्य बने रहना चाहिए और लोगों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए.’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखकर मुझे बेहद दुख होता है. ईमानदार और मेहनती डॉक्टरों के खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं. उन्हें काम करने के लिए बेहतर और अधिक सुरक्षित माहौल की जरूरत है.’ डॉ. कर्नल सीएस पंत और डॉ. वनीता कपूर द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘एटलस ऑफ ब्रेस्ट इलास्टोग्राफी एंड अल्ट्रासाउंड गाइडेड फाइन नीडल साइटोलॉजी’ के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए न्यायमूर्ति एनवी रमण ने ये बातें कहीं।
सीजेआई ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में पेशेवर चिकित्सा संघ बहुत महत्व रखते हैं. उन्हें डॉक्टरों की मांगों को उठाने में सक्रिय रहना होगा.’ उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं देश की आबादी का 50 प्रतिशत हैं और वे परिवार तथा समाज की रीढ़ हैं और इसलिए, उनके स्वास्थ्य को समाज तथा नीतियों में समान रूप से स्थान मिलना चाहिए. आपको बता दें कि बीते दो वर्षों के दौरान भारत को कोरोना जैसी भयानक महामारी से लड़ने में देश के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भूमिका काबिले तारीफ रही है. इस दौरान उनके साथ मारपीट और अभद्रता के कई मामले भी प्रकाश में आए हैं।
न्यायमूर्ति एनवी रमण ने कहा, ‘लोग, विशेष रूप से घर में महिलाएं, अपने स्वास्थ्य को छोड़कर सभी के स्वास्थ्य का ख्याल रखती हैं। परिवार के अन्य सदस्यों, विशेष रूप से पति और बच्चों का यह कर्तव्य है कि वे उसे नियमित स्वास्थ्य जांच के वास्ते भेजें जिससे कि वह अपने शरीर और स्वास्थ्य को समझने की स्थिति में हो सके. हमें एक पत्नी या मां के महत्व का एहसास तब होता है जब वह नहीं होती है. भले ही मेरी मां का 80 वर्ष की आयु में निधन हुआ हो, लेकिन आज तक मुझे उनको खोने का एहसास है. इसलिए प्रत्येक परिवार को उस गृहिणी के महत्व को पहचानना चाहिए जो पूरे परिवार की देखभाल करती है।