कृषि कानूनों (agricultural laws) के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर शनिवार को किसान संघ देश भर में राजभवनों तक मार्च निकालेंगे। किसान नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने कई मांगें पूरी नहीं की हैं। इसलिए इस मार्च के जरिए किसान विरोध (farmer protest) दर्ज कराएंगे। यही नहीं पंजाब में 33 किसान संघ भी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के मार्च में भाग लेंगे। किसान नेताओं ने दावा किया कि सरकार ने उन्हें लिखित में दिया था कि वह चर्चा करके फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून लाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया।
उल्लेखनीय है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Punjab, Haryana and Western Uttar Pradesh) के हजारों किसानों ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर एक साल से अधिक समय तक राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पिछले साल नवंबर में तीनों कानूनों को रद्द करने की घोषणा की थी। इसके बाद आंदोलन खत्म कर दिया गया था।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा- हमें लिखित आश्वासन दिया गया और कई मांगों पर सहमति जताई गई लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। सरकार (government) ने देश के किसानों को धोखा दिया है। वे कॉरपोरेट्स की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि हमारी मांगों को पूरा करने का उनका कोई इरादा नहीं है। मोल्लाह शनिवार को विरोध मार्च में शामिल होने के लिए लखनऊ में हैं।
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2020 को कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था। हालांकि बाद में सरकार ने इन कृषि कानूनों को रद्द कर दिया था। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्र सरकार पर लंबित मांगें पूरी नहीं करने का आरोप लगाते हुए 26 नवंबर को देश भर में राजभवन तक मार्च निकालने की घोषणा की थी। हाल ही में भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा था कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित अन्य लंबित मांगों को लेकर किसान जल्द केन्द्र सरकार को ज्ञापन सौंपेंगे।