उत्तर प्रदेश में लागू हुआ लव-जिहाद कानून यानी धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को लेकर राज्य में बवाल मचा हुआ है। पिछले एक महीने में इस कानून के कारण 51 गिरफ्तारियां हुईं जबकि 49 को जेल और 14 केस दर्ज किए गए हैं।
अब इसी कानून को लेकर राज्य के 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होने यूपी को नफ़रत की राजनीति का केंद्र बताते हुए कहा है कि धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश ने राज्य को “घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है। इसके साथ ही इन पूर्व नौकरशाहों ने इस कानून को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
क्या है पत्र में
इस पत्र में लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश एक समय में गंगा-जमुना तहज़ीब को सींचने वाला था, लेकिन अब लव-जिहाद कानून के आने के बाद से यहां नफ़रत, विभाजन…कट्टरता की राजनीति का पनप चुकी है। इसके साथ ही इन रिटायर्ड अफसरों ने इसे पूरी तरह से ग़ैर-क़ानूनी बताया है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि यह कानून खास तौर पर अल्पसंख्यक लोगों/समुदाय के खिलाफ साजिश है। यह कानून उन्हें परेशान करने के लिए बनाया गया है।
उन्होंने लिखा है कि इस कानून का नाम यानी ‘लव जिहाद’ राइट विंग विचारधारा रखने वालों ने दिया है। इसमें कथित तौर पर मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को बहलाकर शादी करते हैं और फिर उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं। ये सिर्फ कहानी है। यह एक तरफा अत्याचार है जो युवाओं के खिलाफ आपके प्रशासन ने किया है।
इतना ही नहीं इन पूर्व अधिकारियों ने इस पत्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी का हवाला दिया है। जिसमें कहा गया है कि अगर लड़का और लड़की नाबालिग है और खुद की मर्जी से शादी कर रहे हैं, तो इसमें कहीं से भी कोई अपराध नहीं है। उन्होंने बताया कि यह फैसला कोर्ट ने पिछले महीने दिया था, जिसमें किसी के व्यक्तिगत रिश्तों में दखल देना स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।
बता दें उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंजूरी दे दी थी। उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव अतुल श्रीवास्तव ने राज्यपाल की मंजूरी के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’की अधिसूचना जारी कर दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पिछले मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी।