प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुरूप केंद्र सरकार ने लड़कियों के लिए शादी की वैध न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया है। दूल्हा-दुल्हन की न्यूनतम उम्र में समानता लाने के लिए तैयार प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस बीच खास पंचायत के कुछ नेताओं ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। उनका दावा है कि इससे समाज पर बुरा असर पड़ेगा और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोत्तरी होगी।
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को शादी के लिए लड़कियों की उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि देश में लड़कों के लिए भी विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। इस तरह दोनों के लिए एक समान उम्र सीमा निर्धारित कर दी गई है। सरकार इसी शीतकालीन सत्र के दौरान 2006 के बाल विवाह कानून (चाइल्ड मैरेज एक्ट-2006) में संशोधन के लिए संसद में बिल लाने की तैयारी में है। कालखंडे खाप पंचायत के प्रमुख चौधरी संजय कालखंडे ने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ाने का निर्णय समाज पर बुरा प्रभाव डालेगा।
उन्होंने कहा कि आज का समय तकनीक और सोशल मीडिया का है। युवा पीढ़ी इससे जुड़ी है। आज 14 साल की उम्र में भी लड़कियां शादी के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व हो जाती हैं। गठवाला खाप पंचायत के प्रमुख बाबा श्याम सिंह ने कहा कि शादी के लिए न्यूनतम उम्र बढ़ाने से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि होगी। -इससे महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ेंगे। बालिग होने की जो उम्र है उसके बाद शादी की उम्र में पाबंदी नहीं होनी चाहिए। परिवार को किसी लड़की की शादी तय करते वक्त कई चीजों का ख्याल रखना पड़ता है। शदी के लिए लड़कियों की उम्र 21 साल किए जाने की पाबंदी सही नहीं है।
-वोट देने का अधिकार और ड्राइविंग लाइसेंस जब 18 वर्ष की उम्र में मिल जाता है तो शादी के लिए 21 साल की पाबंदी क्यों होनी चाहिए। वैसे भी आजकल सामान्यतया पढ़ाई-लिखाई की वजह से लड़के-लड़कियां 21 से लेकर 25-30 साल या भी उससे भी ज्यादा उम्र में शादी करते हैं। निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग अपनी बेटी की शादी जल्दी करना चाहता है। केंद्र सरकार का यह फैसला सही नहीं है। लड़की की न्यूनतम आयु सीमा 18 साल ही उचित है। -सरकार यह फैसला लड़कियों पर ही क्यों नहतीं छोड़ देती। आज लड़कियां पढ़ाई करती हैं और अपना कॅरियर चुनती हैं। उन्हें अपनी शादी का निर्णय लेने का भी अधिकार है। लड़कियां 18 साल में बालिग हो जाती हैं, यह हाईकोर्ट भी मानता है। लोकतंत्र में 18 साल की लड़की को वोट देने का अधिकार है। शादी की उम्र में भी लड़कियों को यही अधिकार होना चाहिए। देश में इसके पहले भी दुल्हन की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर 12, 14, 15 और फिर 18 साल किया गया था, लेकिन हर बार यह दूल्हे की न्यूनतम उम्र से कम रही। सरकार के ताजा फैसले से देश में लड़कियों व लड़के की शादी की वैध न्यूनतम उम्र समान हो जाएगी। सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि सरकार इसके लिए कानून में संशोधन करने संबंधी विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ला सकती है। लैंगिक निष्पक्षता के लिहाज से उम्र बढ़ाने को जरूरी समझा गया।
बिल पेश होगा – उम्र बढ़ाने के लिए चालू संसद सत्र में विधेयक हो सकता है पेश
-इस बार में प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी