यूक्रेन पर हमले के करीब 10 महीने बाद रूसी सैनिक बमबारी और हवाई हमलों में बर्बाद हो चुकीं मारियुपोल की इमारतों को एक-एक कर ढहा रहे हैं और उनमें मौजूद शवों को भी मलबे के साथ कचरे की ढेर में फेंक रहे हैं। रूसी सेना जहां सड़कों को रौंद रही है, वहीं रूसी सैनिक, बिल्डर, प्रशासन और डॉक्टर शहर छोड़ चुके या हमलों में मारे गए यूक्रेनी नागरिकों की जगह ले रहे हैं। मारियुपोल के रूसी नियंत्रण में आने के करीब आठ महीने बाद रूस धीरे-धीरे पूरे इलाके से ना सिर्फ यूक्रेन की पहचान बल्कि रूसी युद्ध अपराधों के दाग भी मिटा रहा है।
क्षेत्र में फिलहाल जो कुछ स्कूल खुले हुए हैं वे रूसी पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं, फोन और टेलीविजन नेटवर्क भी रूसी है और यहां से यूक्रेनी मुद्रा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है, यहां तक कि मारियुपोल अब मॉस्को के टाइमजोन में आ गया है। ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ ने देखा कि पुराने मारियुपोल के मलबे पर नयी रूसी शहर बस रहा है। लेकिन मारियुपोल के जीवन को लेकर ‘एपी’ को अपनी छानबीन में पता चला कि वहां के निवासियों को सबकुछ पहले से पता है : रूसी चाहे कुछ भी करें, वे लोगों की लाशों की नींव पर नयी इमारतें खड़ी कर रहे हैं। ‘एपी’ ने देखा कि मारियुपोल में 10,000 से ज्यादा नई कब्र बनी हैं और मरने वालों की वास्तविक संख्या निर्वासन में बनी सरकार के शुरुआती अनुमान (कम से कम 25,000) के मुकाबले तीन गुना हो सकती है।
‘एपी’ का अनुमान है कि पूर्ववर्ती यूक्रेनी शहर लगभग खाली हो चुका है और 50,000 से ज्यादा मकान बर्बाद हो चुके हैं। मार्च, 2022 में रूस द्वारा मारियुपोल पर कब्जा किए जाने से ठीक पहले भीषण हवाई हमलों के बीच शहर छोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों में ‘एपी’के पत्रकार अंतिम थे। और यह कहानी उस वक्त से अभी तक शहर के बदले हुए हालात की है। इस बीच, ‘एपी’ वहां के लोगों के संपर्क में रहा और फोटो तथा वीडियो के माध्यम से उनकी त्रासदी को दुनिया के सामने लेकर आया है।
‘एपी’ ने इस दौरान जितने लोगों से बात की है, वे सभी मारियुपोल पर कब्जा के दौरान किसी न किसी अपने को खोने की बात कहते हैं। 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर रूसी हमले के साथ यह त्रासदी शुरू हुई। हर दिन करीब 30 लोग अपने प्रियजनों का पता लगाने के लिए मुर्दाघर पहुंच रहे हैं। लिडिया एराशोवा ने मार्च में रूसी हवाई हमले में अपने पांच साल के बेटे और सात साल की भांजी को मरते हुए देखा। परिवार ने दोनों बच्चों को जैसे-तैसे अपने घर के आंगन में दफनाया और मारियुपोल छोड़कर भाग निकले।
जब वे जुलाई में अपने बच्चों को फिर से उचित तरीके से दफनाने के लिए पहुंचे तो पाया कि शवों को वहां से खोदकर निकाल लिया गया है और एक गोदाम में रखा गया है। जब वे सिटी सेंटर पहुंचे तो देखा कि हर अगला ब्लॉक पिछले के मुकाबले भुतहा नजर आ रहा है। फिलहाल कनाडा में रह रही एरोशोवा का कहना है कि युद्ध में मारियुपोल ने जो खोया है, उसे कोई रूसी पुनर्निमाण योजना पूरा नहीं कर सकती है। उसने सवाल किया, ‘‘यह बहुत ही बेहूदा और बेवकूफी भरा है। आप एक ऐसे मरे हुए शहर को फिर से कैसे बसाएंगे, जहां हर मोड़ पर लाशें गिरी हैं?’