रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन (Ramkrishana Math And Ramkrishna Mission) के अध्यक्ष स्वामी स्मर्णानंद जी महाराज (Swami Smranand Maharaj) की तबीयत बिगड़ गयी है. उन्हें बुधवार की सुबह कोलकाता के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सूत्रों का कहना है कि उनकी शारीरिक स्थिति फिलहाल स्थिर है. डॉक्टर उनकी जांच कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक उम्र संबंधी दिक्कतों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बता दें कि स्वामी स्मर्णानंद जी महाराज रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के 16वे अध्यक्ष हैं. साल 2017 में उन्होंने मिशन का कार्यभार संभाला था. रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन का अध्यक्ष पद 18 जून को स्वामी आत्मास्थानंदजी महाराज के निधन के बाद से खाली पड़ा था. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने बंगाल दौरे के दौरान स्वामी स्मर्णानंद से मुलाकात की थी. पीएम मोदी ने बलूर मठ स्थित मुख्यालय में रात भी व्यतीत किया था.
बता दें कि स्वामी स्मर्णानंद जी महाराज की तबीयत अचानक ही बुधवार को ज्यादा बिगड़ गयी. उसके बाद उन्हें उन्हें बुधवार सुबह करीब साढ़े दस बजे बेलूर मठ से कोलकाता के बाईपास के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टर की चिकित्सा कर रहे हैं और सुबह उनकी कई तरह के टेस्ट किये गये हैं.
साल 1952 में रामकृष्ण मिशन से थे जुड़े
बता दें कि स्मर्णानंद जी महाराज का जन्म 1929 में तमिलनाडु के तल्लवूर जिले के अंदामी गांव में हुआ था. वह छात्र जीवन से ही वे बहुत प्रतिभाशाली थे.. मात्र 20 साल की उम्र में वह रामकृष्ण संघ की मुंबई शाखा के संपर्क में आ गए. श्री रामकृष्ण-विवेकानंद विचारधारा से प्रेरित होकर स्वामी स्मरणानंद 1952 में महज 22 साल की उम्र में वह मुंबई आश्रम में शामिल हो गए थे. साल 1960 में सन्यास लेने के बाद उनका नाम स्वामी स्मर्णानंद रखा गया था. स्वामी स्मर्णानंद रामकृष्ण मठ और मिशन के सोलहवें अध्यक्ष हैं. रामकृष्ण मिशन के पंद्रहवें अध्यक्ष स्वामी आत्मस्थानंद निधन के बाद से वह लंबे समय तक स्वामी स्मर्णानंद मिशन के अंतरिम अध्यक्ष रहे थे.
रामकृष्ण मिशन के हैं 16वें अध्यक्ष
1958 में वे मुंबई आश्रम से अद्वैत आश्रम की कलकत्ता शाखा में आए थे. 1976 में स्मर्णानंद जी महाराज बेलूर मठ के बगल में रामकृष्ण मिशन शारदापीठ नामक एक शैक्षणिक संस्थान के सचिव बने. वह अपने 15 साल के लंबे प्रवास के दौरान विभिन्न सेवा गतिविधियों में शामिल रहे। 1978 की विनाशकारी बाढ़ के दौरान, वह भिक्षुओं की मदद से बचाव के लिए आगे आए. दिसंबर 1991 में, वह चेन्नई में रामकृष्ण मिशन के प्रमुख बने. वह 2007 में एसोसिएशन के उपाध्यक्ष चुने गए थे. उसके बाद साल 2017 से वह रामकृष्ण मठ और मिशन के अध्यक्ष हैं.