राजस्थान हाईकोर्ट का यथास्थिति बरकरार रखने से जुड़ा फैसला सचिन पायलट खेमे के पक्ष में आने के बाद से ही अशोक गहलोत सरकार तीखी बयानबाजी पर उतर आई है। सबसे पहले तो अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र को ही धमकी दे डाली और फिर राजभवन में कांग्रेसी विधायकों की फौज लेकर पहुंच गए। देर रात चली मंत्रिमंडल की बैठक में भी मुख्यमंत्री विधानसभा सत्र बुलाने पर चर्चा करते रहे।
हालांकि जानकार बताते हैं कि राज्यपाल कलराज मिश्र के आधा दर्जन सवालों ने गहलोत को हिलाकर रख दिया है। देर रात चली बैठक में भी इन्हीं सवालों पर चर्चा हुई। राज्यपाल से खुलेआम टकराव पर आमादा गहलोत सरकार की बेसब्री इस आशंका से और बढ़ गई है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी पायलट खेमे के पक्ष में जाने पर सूबे की सियासत तेज मोड़ भी ले सकती है।
अपने लेटर में गवर्नर ने कहा है कि कैबिनेट नोट में विधानसभा सत्र की कोई तारीख नहीं बताई गई है, न ही सरकार ने किस वजह से यह बुलाने की मांग की है, वह भी नहीं बताया गया है। कैबिनेट ने सत्र के लिए कोई अप्रूवल भी नहीं दिया है। गवर्नर ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में 21 दिन का नोटिस देना अनिवार्य होता है। राजभवन के बयान में कहा गया कि गवर्नर ने सरकार से कहा है कि सभी विधायकों की स्वतंत्रता और आने-जाने की आजादी सुनिश्चित करें। गवर्नर ने यह भी पूछा है कि राज्य में कोविड-19 के हालात को देखते हुए विधानसभा सत्र कैसे बुलाया जा सकता है। राज्यपाल ने साफ निर्देश दिए हैं कि सरकार अपनी हर कार्रवाई में संवैधानिक मर्यादा और जरूरी प्रक्रिया का पालन जरूर करे।
हालांकि संवैधानिक स्थिति यही कहती है कि राज्यपाल को मंत्रिमंडल की सलाह के अनुरूप ही चलना होगा, लेकिन विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल अपने विवेक से फैसला कर सकते हैं। चूंकि सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले पर सोमवार को बहस होनी है, तो ऐसे में बनती परिस्थितियां राज्यपाल को विवेकाधिकार का इस्तेमाल करने की इजाजत दे सकती हैं। यही गहलोत की भी परेशानी है। 109 विधायकों का साथ होने का दावा कर रहे गहलोत ने अपने चहेते एसओजी प्रभारी से सचिन पायलट समेत केंद्रीय मंत्री शेखावत के खिलाफ खरीद-फरोख्त के जरिये निर्वाचित सरकार गिराने की साजिश रचने का केस तो दर्ज करा दिया है। यह अलग बात है कि पूरी कहानी से वह भी अच्छे से वाकिफ हैं।
संभवतः इसी कारण अशोक गहलोत शुक्रवार देर रात कैबिनेट से सलाह-मशविरा करते रहे। जानकारों के मुताबिक इस बैठक में विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र के सीएम को भेजे गए आधा दर्जन सवालों पर भी चर्चा हुई। इन सवालों ने अशोक गहलोत की नींद उड़ा दी है। राज्यपाल ने गहलोत सरकार से पूछा है कि अगर उनके पास पहले से बहुमत है, तो विधानसभा सत्र बुलाकर बहुमत परीक्षण क्यों चाहती है। राजभवन ने शुक्रवार शाम को यह लेटर सरकार के पास भिजवाया था। मुख्यमंत्री आवास पर करीब ढाई घंटे चली बैठक में इसी पर चर्चा हुई। इसके साथ ही गवर्नर ने राज्य सरकार को भेजे अपने नोट में कहा है कि कोई भी संवैधानिक दायरे से ऊपर नहीं है और दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए। गवर्नर ने कहा कि उन्होंने कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों से इसपर सलाह ली है। इसके बाद, छह बिंदुओं को उठाते हुए एक नोट सरकार के पास भेजा गया है।