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यहाँ जानिए आखिर क्या हैं ब्लैक फंगस के लक्ष्ण व क्यों Diabetes के मरीजों को हैं इससे अधिक खतरा

दिल्ली में कोरोना महामारी से जूझ रहे कई मरीजों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. क्या ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों का मास्क की सफाई से कोई संबंध है? इस पर हेल्थ एक्सपर्टों में मतभेद हो गए हैं.

कई चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर साफ-सुथरे मास्क का इस्तेमाल न किया जाए और कम हवादार कमरों में रहा जाए तो ब्लैक फंगस (Black Fungus) जैसी समस्या हो सकती है. वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इन बातों को प्रमाणित करने का क्लिनिकल साक्ष्य नहीं है. इसलिए इन बातों पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता.

ब्लैक फंगस के सबसे महत्वपूर्ण कारणों

एम्स में न्यूरोसर्जरी पढ़ाने वाले डॉ चंद्रा ने कहा कि कोविड के इलाज के छह हफ्ते के भीतर अगर लोगों में निम्‍न में से कोई भी फैक्टर होता है, तो उन्हें ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा है।

– अनियंत्रित डायबिटिज (Diabetes)

– टोसिलिजुमैब के साथ स्टेरॉयड का इस्तेमाल

– वेंटिलेशन पर रहने वाले मरीज और सप्लीमेंटल ऑक्सीजन लेना आदि शामिल हैं।

ठंडी ऑक्सीजन से भी खतरा

डॉक्टर ने यह भी कहा कि सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना भी ब्लैक फंगस का खतरा उत्पन्न कर सकता है. इस बीमारी की चपेट में आने वाले मरीजों को एंटी-फंगल दवा पॉसकोनाजोल दी जा सकती है।

उन्होंने फेस मास्क को लंबे समय तक इस्तेमाल करने को लेकर भी आगाह किया। डॉक्टर ने सलाह दी कि एन-95 मास्क को पांच बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाना चाहिए और कपड़े के मास्क को रोजाना धोना चाहिए। डॉ चंद्रा ने नम स्थानों पर मास्क को रखने के खिलाफ भी सलाह दी।