बंगाल की राजनीति में इस बार चुनाव को लेकर टीएमसी में बड़ा घमासान मचा है। टीएमसी के लिए ये सिर्फ़ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि अस्तित्व की जंग है। क्योंकि पहली बार टीएमसी एक बड़े बदलाव से गुज़र रही है। पार्टी के कई बड़े नेता नाराज़ हैं और कुछ ने संगठन का साथ भी छोड़ दिया है। इन सबके पीछे दो जोड़ियां है। एक बुआ-भतीजे की और दूसरी भतीजे और पीके की। इन दोनों जोड़ियों में भतीजा कॉमन है, बंगाल की सियासत में भतीजा एंग्री यंग मैन बनकर बहुत कुछ बदलना चाहता है।
अभिषेक बनर्जी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाई अमित बनर्जी के बेटे और ममता का भतीजा है। बंगाल में टीएमसी समेत पूरे चुनावी घमासान का फिलहाल केंद्र बने हुए हैं। अब ममता के भतीजे और यूथ टीएमसी के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी बीजेपी से भिड़ गए हैं। अभिषेक बनर्जी ने सीधे पीएम मोदी और बीजेपी के चाणक्य अमित शाह को चुनावी चुनौती दी है।
अभिषेक टीएमसी में नंबर 2 की पोज़िशन पर काबिज़ हैं। वह पार्टी का युवा चेहरा हैं और टीएमसी के मुख्य रणनीतिकार माने जाते हैं। ममता ने भी 2021 चुनाव की कमान अभिषेक को सौंप दी है। वह अपनी बुआ ममता बनर्जी की तरह हमलावर राजनीति करते हैं। इसीलिए उन्होंने पीएम को चैलेंज करके शायद 2019 का बदला लिया है।
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले डायमंड हार्बर में पीएम ने कहा था, ‘भतीजे की बत्ती गुल होने वाली है।’ इस बात को लेकर अभिषेक इतना भड़क गए कि पीएम मोदी को मानहानि का नोटिस भिजवाया था। बनर्जी ने कहा, ‘जब भी मुझे निशाना बनाया गया, मैंने कानूनी कार्रवाई की है यानी वो बुआ के भतीजे तो बने रहना चाहते हैं, लेकिन इस रिश्ते को लेकर राजनीतिक हमला बर्दाश्त नहीं करेंगे।
टीएमसी के सांसद और मुख्यमंत्री ममता के भतीजे अभिषेक को बीजेपी की ओर से ‘भाईपो’ या ‘भतीजा’ जैसे सांकेतिक शब्द का इस्तेमाल करते हुए हमले होते हैं। इस बात से अभिषेक भड़के हुए हैं। अपनी बुआ की तरह वो मौक़ा मिलते ही बीजेपी पर बरसने लगते हैं। उनका दावा है कि बीजेपी में हिम्मत है तो भतीजे का नाम डिकोड करें। इसके बाद वो उन्हें भरपूर जवाब देंगे।
अभिषेक बनर्जी की सियासत थोड़ा हैरान करने वाली है, क्योंकि वो दावा करते हैं कि राजनीति में निजी हमले नहीं होने चाहिए। लेकिन वो ख़ुद अमित शाह, कैलाश विजयवर्गीय को बाहरी बताते हैं और दिलीप घोष को गुंडा और माफ़िया कहकर संबोधित करते हैं। टीएमसी के टिकट पर लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए अभिषेक बनर्जी डायमंड हार्बर और दक्षिण 24 परगना लोकसभा सीट से चुने गए हैं। पार्टी की छात्र इकाई ऑल इंडिया तृणमूल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष होने की वजह से पार्टी का युवा चेहरा हैं। इसलिए युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं, लेकिन अब उन्हें 2021 की चुनावी कमान मिल चुकी है, जिसके बाद वो टीएमसी के तेवर में ढलते हुए आक्रामक दिखने की कोशिश कर रहे हैं।
अभिषेक बनर्जी का दावा है कि अगर सियासी विरोधियों ने उनका नाम लेकर हमला किया, तो वो कानूनी लड़ाई में उन्हें हरा देंगे। लेकिन भतीजे को ये नहीं भूलना चाहिए कि टीएमसी में उन्हें लेकर अंदरूनी घमासान मचा है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बात से नाराज़ हैं कि कद्दावर नेता होते हुए भी भतीजे को चुनावी कमान क्यों सौंपी गई। टीएमसी के कई नेता इस बात से ख़फ़ा हैं। शुभेंदु अधिकारी इस नाराज़गी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं।
बुआ और भतीजे का रिश्ता अब विरोधी दलों के लिए राजनीतिक हथियार बन चुका है। इसलिए भतीजे को अपने ऊपर लगने वाले आरोपों और हमलों के लिए ख़ुद को तैयार करना होगा, क्योंकि भतीजे पर सियासी विरोधियों से सिर्फ़ कानूनी लड़ाई जीतने की नहीं बल्कि 2021 का राजनीतिक रण जीतने की भी ज़िम्मेदारी है।