भारत के एक और पड़ोसी देश में सियासी उठापठक की आशंका पैदा हो गई है. भारतीय सीमा से लगे म्यांमार में सेना (Myanmar Army Coup) सरकार से नाराज दिख रही है. माना जा रहा है कि इस देश में तख्तापलट (Takhtapalat) हो सकता है. ऐसी खबरें हैं कि चुनावों में गड़बड़ी की शिकायतों से नाराज म्यांमार के सेना प्रमुख (Myanmar Army Chief) ने देश में तख्तापलट (Myanmar Army Coup) करने की धमकी दे डाली है. हालांकि सेना ने बाद में कहा है कि मीडिया ने उनकी बात का गलत अर्थ निकाला है.
पिछले हफ्ते म्यांमार में तनाव के हालात बन गए थे. सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि नवंबर में हुए चुनाव में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की शिकायतें मिली हैं. अगर इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों से कहा था कि अगर कानूनों को उचित तरीके से लागू नहीं किया जाएगा तो संविधान को रद्द किया जा सकता है. इसे लेकर आशंका तब और भी बढ़ गई जब कई बड़े शहरों में सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों को तैनात किया गया.
अब सेना ने दी सफाई
सेना ने शनिवार को एक बयान जारी किया. इसके मुताबिक कुछ संगठनों और मीडिया ने यह बात बिना किसी आधार के कही कि सेना ने संविधान को रद्द करने की धमकी दी है. बयान में कहा गया कि जनरल मिन के भाषण का गलत अर्थ निकाला गया. पिछले वर्ष आठ नवंबर को हुए चुनाव में आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) की सत्तारूढ़ ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ पार्टी को 476 सीटों में से 396 सीटें मिली थीं. वहीं, सेना समर्थित ‘यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट’ पार्टी को महज 33 सीटें मिली थीं.
आम लोग भी सेना के समर्थन में
चुनावों में धांधली के आरोपों को लेकर म्यांमार में आम लोग भी सड़कों पर उतर आए हैं. आम लोगों को भी सेना का समर्थन मिल रहा है. लोग राष्ट्रीय झंडा लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सेना के समर्थन में उतरे ये लोग चुनावों में हुई गड़बड़ी की जांच की मांग कर रहे हैं.
जानकारों की राय
म्यांमार की राजनीति पर गहरी जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि अब इस देश में तख्तापलट होना लगभग मुश्किल है. ऐसा लग रहा है कि सेना ने ऐसा कुछ भी करने की योजना से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. हालांकि परदे के पीछे क्या चल रहा है, यह कहना अभी मुश्किल है. इससे पहले चुनाव आयोग ने गड़बड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया है. चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि ऐसी कोई भी गलती नहीं हुई है, जिससे वोटिंग प्रणाली पर शक किया जा सके.