सीएए (CAA) को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन को सुलझाने में अभी भी दिल्ली पुलिस (Delhi Police) लगी हुई है. इसी बीच तहकीकात में एक बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल दिल्ली पुलिस की तरफ से कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर की गई चार्जशीट के जरिए पता चला है कि, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) सीएए के विरोध की आड़ में दिल्ली में अवैध तरीके से बसे बांग्लादेशी नागरिकों (Bangladeshi citizens) को भारत में शामिल करने का प्लान कर रहे थे. बता दें कि रविवार को इस केस के सिलसिले में नई चार्जशीट दाखिल की गई थी. यही नहीं उमर खालिद के विरोध में दंगों के दौरान जो लोग हिंसा पर उतरे थे उनमें से भी कई लोगों ने 164 के तहत बयान भी दिया है.
जिनका इस्तेमाल दिल्ली पुलिस स्पेशल ने उमर खालिद के खिलाफ किया है. स्पेशल सेल की माने तो JNU में ‘टुकड़े-टुकड़े’ का नारा लगने के बाद ही उमर खालिद चर्चाओं में आया था. बीते रविवार की ही बात है जब दिल्ली पुलिस की ओर से हिंसा की साजिश रचने के आरोप में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई है. बताया जा रहा है कि, ये चार्जशीट आतंकरोधी कानून UAPA के तहत दाखिल की गई है. यही नहीं बल्कि आईपीसी (IPC) की कई और गंभीर धाराओं के साथ ऑर्म्स एक्ट के आधार पर भी इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. ये चार्जशीट लगभग 930 पेज की बताई जा रही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली हिंसा के दौरान उमर खालिद का नाम काफी ज्यादा चर्चाओं में रहा था. 14 सितंबर की बात है जब दिल्ली हिंसा से संबंधित केस में खालिद को गिरफ्तार किया गया था. कड़कड़डूमा कोर्ट की ओर से उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 20 नवंबर तक के लिए बढ़ाने का आदेश दिया गया है. दरअसल दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करते गुहार लगाई थी कि, खालिद की न्यायिक हिरासत 30 दिन के लिए और बढ़ा दी जाए. लेकिन खालिद के वकील की ओर से इस याचिका की खिलाफत करते हुए ये दलील दी गई कि उसने पुलिस से जुड़ी हर जांच में पूरा योगदान दिया है. इसलिए ऐसे आरोप लगाना कि उमर खालिद जांच में सपोर्ट नहीं कर रहा है और उसकी न्यायिक हिरासत को बढ़ाया जाए, ये सरासर गलत है.