सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी दिल्ली में रेलवे ट्रैक के आसपास बनी लगभग 48000 झुग्गियों को 3 महीने में हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन झुग्गियों को हटाने में किसी प्रकार का राजनैतिक हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाएगा। झुग्गी-झोंपडिय़ों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। दरअसल शीर्ष अदालत ने अतिक्रमणों को हटाने के संबंध में स्टे देने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अगर रेलवे ट्रैक के आसपास से अतिक्रमण हटाने से संबंधित कोई अंतरिम आदेश दिया जाता है तो वह प्रभावी नहीं होगा।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बी आर गवई और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) द्वारा निर्देशित रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि एक महीने के भीतर क्षेत्र से कचरे और अतिक्रमणों को हटाने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए। साल 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी रेलवे ट्रैक के सेफ्टी जोन से झुग्गियों को हटाने का आदेश जारी किया था, उस दौरान काफी पॉलीटिकल ड्रामा हुआ था और सभी राजनीतिक पार्टियां झुग्गी में रहने वाले लोगों के समर्थन में उतर आई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण के संबंध में अगर कोई अदालत अंतरिम आदेश जारी करती है तो वो प्रभावी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से काम करके इसे तीन महीने में पूरा किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश एम. सी. मेहता के मामले में दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट साल 1985 के बाद से दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर आदेश जारी करता रहता है। रेलवे ने कहा कि एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था।