रेलवे बोर्ड (Railway Board) पिछले साढ़े चार सालों में 25 जोड़ी सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनें (Vande Bharat Trains) चला चुका है। देश के विभिन्न शहरों के बीच दिनरात फर्राटा भरते हुए इन ट्रेनों ने अब तक 57 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी नाप ली है। इस प्रकार वंदे भारत ट्रेनों ने सूर्य की परिधि के बराबर का पूरा चक्कर लगा दिया है। उल्लेखनीय पहलू यह है कि सुरक्षित परिचालन के साथ वंदे भारत ट्रेनें संरक्षा के मामले में भी अव्वल साबित हो रही हैं।
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहली वंदे भारत ट्रेन का दिल्ली-वाराणसी के बीच फरवरी 2019 में चलाई गई थी। इन ट्रेनों की संख्या अब बढ़कर 50 (25 जोड़ी) हो गई है। उन्होंने बताया कि साढ़े चार साल में सेमी हाई स्पीड ट्रेनों ने विभिन्न शहरो के बीच दौड़ते हुए 57.66 लाख किलोमीटर की दूरी तय की है। यह आंकड़ा एक सितंबर 2023 तक का है। जबकि सूर्य का घेरा 43.70 लाख किलोमीटर है। इस प्रकार वंदे भारत ट्रेनों ने सूर्य की परिधि का पूरा चक्कर लगाने के साथ लगभग 14 लाख किलोमीटर अधिक की दूरी तय कर ली है।
इसकी तुलना यदि पृथ्वी की परिधि से करें तो वंदे भारत ट्रेनों ने पृथ्वी के 143 फेरे लगा लिए हैं। पृथ्वी की परिधि 40,075 किलोमीटर है। अधिकारी ने बताया कि वंदे भारत टे्रनों ने लाखों किलोमीटर की दूरी अपनी 130 किलोमीटर प्रतिषंटा से पूरी की है। यदि छुटपुट षटनाओं को छोड़ दिया जाए तो वंदे भारत किसी हादसे का शिकार नहीं हुई है। इस प्रकार साढ़े चार साल के रेल संरक्षा के मामले में वंदे भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
अधिकारी ने बताया कि स्वदेशी तकनीक से निर्मित वंदे भारत भारतीय रेल की सबसे सुरक्षित ट्रेनें हैं। वंदे भारत विश्व स्तरीय यूरोपियन सुरक्षा तकनीक से युक्त हैं। सभी कोच केंद्रीय निगरानी और नियंत्रण प्रणाली लगी है। कोच के भीतर अथवा बाहर किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर ड्राइवर के कंट्रोल पैनल में लाइट और आवाज के साथ संदेश पहुंच जाता है।