दुनियाभर के 16 देशों की महिला विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को कहा कि वे अफगान लड़कियों को माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने की अनुमति नहीं दिए जाने को लेकर ‘बहुत निराश हैं’ और उन्होंने तालिबान (Taliban) से अपने इस फैसले को पलटने की अपील की है. दुनिया के 10 देशों के राजनयिकों ने भी संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में इसी प्रकार का संदेश दिया. उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी शासकों ने बुधवार को अप्रत्याशित रूप से छठी कक्षा से ऊपर की कक्षाओं को लड़कियों के लिए दोबारा खोलने से इनकार कर दिया था.
अल्बानिया, अंडोरा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बोस्निया, कनाडा, एस्टोनिया, जर्मनी, आइसलैंड, कोसोवो, मालावी, मंगोलिया, न्यूजीलैंड, स्वीडन, टोंगो और ब्रिटेन की विदेश मंत्रियों ने कहा, ‘महिला और विदेश मंत्री होने के नाते हम इस बात से निराश और चिंतित हैं कि इस वसंत से अफगानिस्तान में लड़कियों को माध्यमिक स्कूलों तक पहुंच देने से इनकार किया गया है.’ विदेश मंत्रियों ने कहा कि यह फैसला, ‘खासतौर पर परेशान करने वाला है क्योंकि हम सभी बच्चों के लिए सभी स्कूल खोलने की प्रतिबद्धता के बारे में बार-बार सुन रहे थे.’
तालिबान से फैसला पलटने की अपील
उन्होंने कहा, ‘हम तालिबान से हाल में लिया गया फैसला पलटने और देश के सभी प्रांतों में हर स्तर पर शिक्षा में समान अवसर देने की अपील करते हैं.’ न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद ने इस मामले पर बंद कमरे में चर्चा की. इसके शुरू होने से पहले अल्बानिया, ब्रिटेन, ब्राजील, फ्रांस, गैबॉन, आयरलैंड, मैक्सिको, नॉर्वे, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत तालिबान के फैसले का विरोध करने के लिए एक साथ खड़े हुए.
बहुत चिंतित करने वाला कदम- यूएई
परिषद की वर्तमान अध्यक्ष एवं संयुक्त अरब अमीरात की राजदूत लाना नुसीबेह ने एक संयुक्त बयान को पढ़ते हुए कहा, ‘यह बहुत चिंतित करने वाला’ कदम है. आपको बता दें तालिबान ने अफगानिस्तान पर बीते साल के अगस्त महीने में कब्जा किया था. जिससे वहां की पश्चिम समर्थित सरकार गिर गई. इसी के बाद से ये देश महिलाओं और लड़कियों के लिए नरक बन गया है. इन्हें ना केवल स्कूल और कॉलेज जाने से रोका जा रहा है, बल्कि नौकरी करने तक की आजादी छीन ली गई है.