अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के साथ ही दुनिया की निगाहें अब विदेश नीति की ओर देख रही हैं। भारत अफगानिस्तान का पड़ोसी है और उसके विकास, निर्माण में तीन अरब डाॅलर का निवेश कर चुका है। ऐसे में तालिबान और भारतीय नीति को लेकर संभावनायें तलाशी जा रही हैं। अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बात की है। एंटनी ब्लिंकन ने अफगानिस्तान में प्रत्यक्ष हितों वाले देशों के विदेश मंत्रियों से बात किया था। ब्रिटेन, रूस, चीन सहित भारत भी उन देशों में शामिल है जिन्होंने अफगानिस्तान के विकास पर काफी खर्च किया है। भारत की कई परियोजनाएं ऐसी हैं जिसमें काम चल रहा है। इस बीच अफगानिस्तान पर काबिज हो चुके तालिबान ने कहा है कि भारत को अफगान में अपने प्रोजेक्ट्स, परियोजनाओं को पूरा करना चाहिए। भारत ने अफगानिस्तान में तीन अरब डॉलर की विकास परियोजनाओं पर निवेश किया है।
साथ ही तालिबान के नेता ने अफगानिस्तान की धरती का दूसरे देशों के खिलाफ इस्तेमाल न करने का आश्वासन दिया है। तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि किसी भी देश को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ नहीं करने दिया जाएगा। भारत अफगानिस्तान में अपनी अधूरी पुनर्निर्माण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा कर सकता है। भारत ने अफगानिस्तान में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स बनाए हैं, रिकंसट्रक्शन कर रहे हैं और वो कम्पलीट नहीं हैं तो वो उसे पूरा करें क्योंकि वो अवाम के लिए है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की सरजमीं का अपने मकसद के लिए, अपने मुल्क के मकसद के लिए, अपनी अदावत के लिए कोई इस्तेमाल करे तो हम इसकी इजाजत नहीं देंगे।
तालिबान के प्रवक्ता ने यह भी कहा था कि तालिबान भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा नहीं बनना चाहता है। तालिबान प्रवक्ता उन्होंने कहा कि मैं यहां पिछले 40 साल से जिहाद कर रहा हूं। हम भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई का हिस्सा नहीं बनना चाहते है। हम आजादी के लिए लड़ने वाले लोग हैं, हम अफगानिस्तान के लोग हैं।