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जींद की महापंचायत में गरजे राकेश टिकैत, कहा- राजा जब डरता है तो किलेबंदी करता है, सरकार भी डर गई

किसान आंदोलन के अग्रज और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बुधवार को हरियाणा के जींद में आयोजित किसान महापंचायत में भाग लिया. इस दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा किसान और किसी बात से मानने वाला नहीं है. टिकैत ने किसान आंदोलन के अग्रज और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बुधवार को हरियाणा के जींद में आयोजित किसान महापंचायत में भाग लिया. इस दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा किसान और किसी बात से मानने वाला नहीं है. टिकैत नेदिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर दिल्ली पुलिस द्वारा गई जबरदस्त घेरांबदी को लेकर जींद के कंडेला गांव में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने कीलें गाडी, तार लगवाए, लेकिन ये चीजें किसानों को नहीं रोक पाएंगी. टिकैत ने कहा कि, ‘राजा जब डरता है तो किलेबंदी करता है, मोदी सरकार किसानों के डर से किलेबंदी करने में जुटी है.’ टिकैत ने आगे कहा कि किसान इन्हें उखाड़ कर अपने घरों में ले जाएंगे और अपने-अपने गांवों की चौपालों में रखेंगे और आने वाली नस्लों को बताएंगे कि किस प्रकार सरकार ने उनका रास्ता रोकने के लिए प्रोपेगंडे रचे थे.

महापंचायत में राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा की गई यह किलेबंदी एक नमूना है, आने वाले दिनों में गरीब की रोटी पर भी किलेबंदी होगी. टिकैत ने कहा कि किसी भी गरीब की रोटी तिजोरी में बंद न हो, इसीलिए किसानों ने यह आंदोलन शुरू किया है. इस दौरान राकेश टिकैत ने मोदी सरकार से तीनों बिलों को वापस लेने की मांग दोहराई.

26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुई घटना को किसानों को बदनाम करने की साजिश करार देते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि जो लोग लाल किले पर गए वो किसान नहीं थे. टिकैत ने कहा की, ‘हम पिछले 35 साल से दिल्ली में किसानों के हित में आंदोलन करते आ रहे हैं. हमने संसद घेरने की बात भी कही थी, लेकिन लाल किले की बात तो कभी नहीं कही और न ही किसान वहां कभी गए. लाल किले पर जो लोग गए वो किसान नहीं थे. यह किसानों को बदनाम करने के लिए साजिश रची थी.’

 

हाल ही में लाल किले की घटना के बाद किसान संगठनों में आंदोलन को लेकर एक बारकी पड़ी फूट पर राकेश टिकैत ने कहा कि उनकी कमेटी का न तो कोई मेम्बर बदला जाएगा और न ही कार्यालय बदला जाएगा, यही नहीं जो भी फैसला होगा वो पहले की तरह यही 40 सदस्यीय कमेटी ही करेगी. टिकैत ने कहा कि, युद्ध में कभी घोड़े कभी नहीं बदले जाते. हम इन्हीं घोड़ों के बल पर किसानों की लड़ाई जीतने में कामयाब होंगे.’

अपने सम्बोधन के दौरान राकेश टिकैत ने बताया कि अभी सरकार को अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है, आगे जैसे भी हालात रहेंगे, उसी मुताबिक आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी. टिकैत ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने खेत की मिट्टी और पानी की पूजा करें, क्योंकि युवा जब तक खेत की मिट्टी और पानी की पूजा नहीं करेंगे तो उन्हें आंदोलन का अहसास नहीं होगा.