प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब समरकंद में रूस के राष्ट्रपति को मित्रवत सलाह देते हुए कहा कि आज युद्ध का युग नहीं है तो उनकी ये लाइन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बेंचमार्क सरीखा बन गई. पीएम मोदी ने सितंबर में पुतिन को ये सलाह दी थी कि और इस बात पर जोर दिया था कि रूस-यूक्रेन वार को डायलॉग और डिप्लोमेसी के जरिये ही सुलझाया जाए. आज का समय युद्ध का नहीं है.
सितंबर से लेकर नवंबर यानी कि अगले 60 दिनों तक पीएम मोदी की इस अपील की गूंज दुनिया भर में सुनाई दी. अमेरिका ने कहा था कि वह भारत के प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत करता है और संवाद के जरिए युद्ध का अंत होना चाहिए.
अब जब पीएम नरेंद्र मोदी जी-20 सम्मेलन में शिरकत करने के लिए एक बार फिर से इंडोनेशिया के बाली पहुंचे हैं तो कूटनीतिक हलकों में ये चर्चा हो रही है कि क्या भारत यूक्रेन और रूस के बीच सुलह कराने के लिए बातचीत की मेज पर पीसमेकर बनने को तैयार है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्लेन बाली में लैंड कर चुका है. पीएम एक बार फिर से दुनिया के उन नेताओं के बीच में हैं जिन्हें युद्ध सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाली पहुंचते ही अपने पहले संबोधन में यूक्रेन-रूस युद्ध को रोकने की एक बार फिर से अपील की. उन्होंने कहा कि युद्धविराम तक पहुंचने और कूटनीतिक पहल को शुरू करने का रास्ता खोजना होगा. पीएम मोदी ने कहा कि बीती सदी में द्वितीय विश्व युद्ध तबाही मचा चुका है. तब उस समय के नेताओं ने शांति स्थापित करने के लिए गंभीर प्रयास किये और अब बारी हमारी है.
पीएम मोदी इस सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और स्पेन के राष्ट्राध्यक्षों से मिल रहे हैं. चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से पीएम मोदी की मीटिंग अभी तक तय नहीं हो पाई है. इस दौरान रूस-यूक्रेन वार का मुद्दा सामने आने की उम्मीद है. हालांकि इस सम्मेलन में पुतिन स्वयं नहीं पहुंच रहे हैं, पुतिन ने विदेश मंत्री सर्गेई लवारोव को इस सम्मेलन में भेजा है.