देश में जब भी कभी सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की बात आती है तो सबकी जुबां पर पहला नाम उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ‘नेताजी’ के परिवार का आता है. यूपी की राजनीति में मुलायम सिंह यादव के परिवार की धाक सालों से जमी हुई है. मुलायम परिवार का शायद ही ऐसा कोई सदस्य हो, जो राजनीतिक पदों पर न रहा हो. ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य-अध्यक्ष से लेकर सांसद-विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री तक के पदों पर लोग आसीन हो चुके हैं.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने प्रख्यात समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा सीखा और लोहिया के पदचिह्नों पर चलकर आगे बढ़े. मुलायम ने लोहिया के समाजवाद की सारी बातें तो मानी, लेकिन लोहिया के परिवारवाद की सख्त खिलाफत का समर्थन करने के बाद भी मुयालम अपने परिवार को राजनीति में आगे बढ़ाते रहे. आज देश की राजनीति में सपा संरक्षक का कुनबा सबसे बड़ा है. परिवार के 25 से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो राजनीति में सक्रिय हैं. आज हम आपको मुलायम परिवार के ऐसे नामों के बारे में बताएंगे, जो या तो वर्तमान समय में राजनीति से दूर हैं या तो सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं.
भाइयों में तीसरे नंबर पर थे मुलायम सिंह यादव
बता दें, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बाबा का नाम मेवाराम था. मेवाराम के दो बेटे सुघर सिंह और बच्चीलाल सिंह थे. मुलायम सिंह यादव सुघर सिंह के बेटे थे. मुलायम सिंह यादव कुल पांच भाई थे, जिसमें शिवपाल यादव सबसे छोटे थे. अन्य भाइयों में रतन सिंह, राजपाल सिंह और अभय राम सिंह हैं. भाइयों में मुलायम सिंह यादव तीसरे नंबर के हैं. वहीं मुलायम सिंह यादव के चाचा बच्चीलाल सिंह के दो बच्चे थे. बेटे प्रो. रामगोपाल यादव और बेटी गीता यादव. प्रो. रामगोपाल यादव देश-प्रदेश की राजनीति में जाना-पहचाना नाम है.
प्रो. रामगोपाल यादव मुलायम सिंह यादव के थिंक टैंक कहे जाते थे. रामगोपाल यादव मुलायम सिंह यादव के काफी नजदीक थे. कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव की पीढ़ी में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे रामगोपाल यादव ही हैं. यही कारण है कि मुलायम ने उनको प्रदेश की राजनीति से दूर रखकर अधिकतर दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रखा. दिल्ली के सारे मामले रामगोपाल ही हैंडल करते थे. स्वास्थ्य कारणों से जब मुलायम की राजनीति में सक्रियता कम हुई तो उन्होंने रामगोपाल यादव को अखिलेश को राजनीति के दांव-पेंच सिखाने में लगा दिया. आज रामगोपाल यादव की अखिलेश के साथ अच्छी बॉन्डिंग है. अखिलेश उनका काफी सम्मान करते हैं. सारे राजनीतिक फैसले भी रामगोपाल से सलाह के बाद लेते हैं.
धर्मेंद्र यादव भी मैनपुरी से रह चुके हैं सांसद
मुलायम सिंह यादव के सबसे बड़े भाई अभय राम यादव हैं. बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव, अभय राम यादव के ही बेटे हैं. धर्मेंद्र यादव तीन बार सांसद रह चुके हैं. पहला चुनाव उन्होंने 2004 में मैनपुरी लोकसभा सीट से लड़ा था. इस चुनाव में धर्मेंद्र को जीत मिली थी. इसके बाद धर्मेंद्र 2009 और 2014 में बदायूं से संसद सदस्य चुने गए. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें तब भाजपा में रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने हरा दिया था. अभी हाल ही में संपन्न हुए आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. धर्मेंद्र यादव भी अखिलेश यादव के काफी करीब हैं.