कानपुर (Kanpur) के सबसे बड़े गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) का अंत हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी पुलिस (Police) शांत नहीं बैठी है, और लगातार विकास से जुड़े हर उस अपराधी की तलाश कर रही है, जो उसके क्रिमिनल धंधे में उसके साथ रहा था. इसी बीच पुलिस के हाथ एक और बड़ी कामयाबी लगी है. दरअसल कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने आखिरकार विकास के करीबी और उसकी काली कमाईयों का हिसाब रखने वाले आरोपी जयकांत वाजपेयी और उसके साथी प्रशांत शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया है. बता दें कि जयकांत वाजपेयी उर्फ जय वाजपेयी (Jai Vajpayee) ही वो शख्स था जो विकास दुबे के एक-एक पैसों का हिसाब खुद रखता था. ऐसे में ये उम्मीद लगाई जा रही है कि अब जय की गिरफ्तारी विकास दुबे की नाजायज कमाई के सभी राज खोलकर सामने रख देगी.
फिलहाल अचानक से कानून के हाथ लगे जय वाजपेयी की गिरफ्तारी को लेकर कानपुर पुलिस (Kanpur Police) का बयान सामने आया है. जिसमें उन्होंने बताया है कि 2 से 3 जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या में जय वाजपेयी और उसके साथी प्रशांत शुक्ला का भी हाथ था. दोनों ने मिलकर विकास की इस घटना में पूरी मदद की थी. पुलिस के मुताबिक 1 जुलाई को विकास दुबे की ओर से जय वाजपेयी को फोन कॉल गई थी. इसके बाद 2 जुलाई को जय और प्रशांत बिकरू गांव भी आए थे. इतना ही नहीं कानपुर पुलिस की माने तो 2 जुलाई को ही जय वाजपेयी ने विकास दुबे को 2 लाख रुपये देने के साथ ही 25 रिवॉल्वर कारतूस भी दिए थे.
हैरानी वाली बात तो ये है कि आठ पुलिसकर्मियों को मौत के हवाले करने के बाद विकास दुबे और उसकी पूरी टीम को बचाने के लिए किसी दूसरी जगह पर पहुंचाने के लिए तीन लग्जरी गाड़ियों की भी पूरी तैयारी करवाई गई थी. हालांकि पुलिस की चौकन्नी नजर से ये अपराधी अपने बनाए हुए इस प्लान में फेल हो गए थे. दरअसल 8 साल पहले ही जय वाजपेयी एक प्रिंटिंग प्रेस में सिर्फ 4000 की सैलरी पर काम करता था. कहते हैं कि इसी दौरान उसकी मुलाकात विकास दुबे से हुई. फिर दोनों एक-दूसरे के साथ मिलकर विवादित जमीनों को खरीदने और बेचने का काम करने लगे. यहीं से दोनों का आपराधिक रिकॉर्ड चरम पर पहुंचने लगा. जिसका नतीजा ये कि आज गैंगस्टर दुबे मारा जा चुका है और जय वाजपेयी पर पुलिस का शिकंजा कस चुका है. फिलहाल आगे कौन से नए राज का खुलासा होता है वो तो पुलिस की पूछताछ के बाद ही सामने आएगा.