दिल्ली से सटे गाजियाबाद में दिल दहला देने वाली वारदात हुई है। शताब्दीपुरम के सरस्वती विहार में शनिवार को टयूशन टीचर सहित दो की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। वारदात के वक्त घर पर मौजूद तीन बच्चों पर भी धारदार हथियार से जानलेवा हमला किया गया। गंभीर रूप से घायल मीनाक्षी को सर्वोदय अस्पताल से निकालकर स्वजनों ने यशोदा अस्पताल नेहरू नगर में भर्ती कराया। स्थिति नाजुक बनी हुई है। घायल गौरी एवं रूद्र का उपचार सर्वोदय अस्पताल में ही चल रहा है।
इस वारदात से सात साल पहले 2013 में कोतवाली क्षेत्र के नई बस्ती में हुए उस नृशंस हत्याकांड की यादें शहरियों को ताजा हो गई, जिसमें व्यापारी सतीश गोयल समेत उनके परिवार के सात लोगों की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी।
जख्मी बच्ची ने खोला राज, अंकल- आंटी ने किया हमला
वहीं, इस दोहरे हत्याकांड में देर रात को पुलिस को महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। सूचना है कि अस्पताल में जख्मी एक बच्ची ने बता दिया है कि वारदात को लाल क्वार्टर जहां पर पहले डॉली का परिवार रहता था, वहां रहने वाले एक अंकल-आंटी ने वारदात को अंजाम दिया है। वह दोनों मेहमान बनकर घर मे दाखिल हुए थे।
हालांकि अभी पुलिस इस मामले में खुलकर कुछ नही बता रही है। बताया जा रहा है कि पुष्टि के लिए पुलिस ने बच्ची द्वारा बताये गए व्यक्ति का फोटो भी दिखाया जिसे जख्मी बच्ची ने पहचान लिया। इसके बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर पुलिस ने आरोपितों के घर दबिश भी दी है। कुछ संदिग्ध पुलिस के हिरासत में हैं। उम्मीद है कि पुलिस जल्द ही पूरे मामले का खुलासा कर देगी।
पहचान छिपाने के लिए बच्चों पर हमला
नई बस्ती में हुई वारदात की तरह सरस्वती विहार में हुए दोहरे हत्याकांड में भी आशंका है कि हमलावर ने पहचान छिपाने के लिए घर में मौजूद बच्चों पर भी जानलेवा हमला किया है। यही वजह है कि एक, दो नहीं बल्कि बच्चों पर अंशु और डॉली की तरह कई वार किए गए हैं। लोगों में हमलावरों के प्रति गुस्सा साफ दिख रहा है, पुलिस से वारदात का जल्द से जल्द खुलासा करने और हमलावर को सख्त सजा देने की मांग की गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, उस वारदात को सतीश के जानकार राहुल ने अंजाम दिया था, जो कि उनके यहां पूर्व में ड्राइवर था। सरस्वती विहार में भी इसी तरह परिवार ने एक परिचित पर ही वारदात को अंजाम देने का शक जाहिर किया है। हालांकि लोगों के जेहन में एक बड़ा सवाल यह है कि उस वारदात को रात में परिवार के सोते वक्त अंजाम दिया गया था लेकिन इस वारदात को शाम पांच बजे से रात नौ बजे के बीच अंजाम दिया गया है, ऐसे में आस पड़ास के लोगों को मामले की जानकारी तक नहीं हो सकी।
किसी ने हमलावरों से मुकाबला कर रही डॉली, अंशु या डॉली के बच्चों की चीखें तक कैसे नहीं सुनी। हालांकि आस पड़ोस के लोग खुद हैरान हैं। उनका कहना है कि अगर किसी की चीख सुनाई देती तो वे मौके पर पहुचं जाते और शायद डॉली और अंशु को बचा लेते। फिलहाल इस वारदात के बाद लोग सहमे हैं। जख्मी बच्चों के जल्द स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं।