चीन और भारत के बीच गलवान के बाद पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध एक साल के बाद भी विवाद बना हुआ है। दोनों देशों के बीच अब तक 11 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है। इस बीच चीनी ड्रैगन ने लद्दाख के हाट स्प्रिंग और गोगरा इलाके से अपनी सेना को पीछे हटाने से इनकार कर दिया है। चीन ने भारत को कहा है कि भारत को जो मिला है (पैंगोंग इलाके में पीछे हटना) उसमें उसे खुश रहना चाहिए। 9 अप्रैल को हुई कोर कमांडर स्तर की में चीन ने हाट स्प्रिंग, देपसांग मैदान और गोगरा पोस्ट से अपने सैनिकों को हटाने से इनकार कर दिया। इससे पहले फरवरी महीने में भारत और चीन की सेनाएं पैंगोंग झील और कैलाश रेंज से पीछे हटी थीं। अन्य विवादित स्थलों को लेकर बातचीत करने पर सहमति बनी थी।
उच्च पदस्थ भारतीय सूत्रों के मुताबिक चीन ने पहले हाट स्प्रिंग के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और पीपी-17ए और गोगरा पोस्ट से पीछे हटने पर सहमति जताई थी। सहमति जताने के बाद अब उसने पीछे हटने से इनकार कर दिया है। चीन पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और पीपी-17ए पर चीनी सेना की ओर से प्लाटून स्तर की सैन्य तैनाती की गई है। इस क्षेत्र में पहले कंपनी के स्तर की थी। भारतीय सेना के प्लाटून में 30 से 32 जवान होते हैं। वहीं सेना की एक कंपनी में 100 से 120 जवान होते हैं।
बताया जाता है कि इस इलाके में आवागमन के लिए रोड की जरूरत नहीं है। चीनी बहुत जल्द ही आ जाते हैं और इस समय में वे भारतीय क्षेत्र में काफी अंदर तक घुसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो से तीन साल में भारत कभी भी पैंगोंग झील के फिंगर 8 तक नहीं पहुंच सका है। देपसांग में भारतीय सेना अपने परंपरागत गश्त वाले इलाके तक वर्ष 2013 से अब तक नहीं पहुंच सकी है। चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को गश्त करने से लगातार रोक रहे हैं।