आकाश में घटने वाली घटनाओं का अपना विशेष महत्व होता है। आज भगवान गणेश के घर-घर पधारने के साथ ही आकाश में रोचक खगोलीय घटना भी देखने को मिलेगी, जोकि देखने में बहुत ही अद्भुत नजर आएगी। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा और शुक्र ग्रह की युति होने जा रही है। इसमें ये दोनों ग्रह शुक्रवार दिन से ही एक-दूसरे के सबसे नजदीक हैं लेकिन सूर्य के तेज प्रकाश के कारण दोनों ग्रहों की यह नजदीकी दिन में दिखाई नहीं दे रही है, पर जैसे ही रात होगी, सभी इस युति को खुली आंखों से देख पाएंगे।
खगोलीय गणना के अनुसार दोनों ग्रह एक-दूसरे से चार डिग्री (अंश) 44 मिनट (कला) कोण पर विराजमान हैं। यानी ये आपस में सबसे कम डिग्री का कोण बना रहे हैं। सौरमंडल में शुक्र चंद्रमा के नीचे लट्टू जैसा दिखाई देगा। माह में एक बार ऐसा होता है, किंतु यह संयोग से आज गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर हुआ है। सूर्य एवं चंद्रमा के बाद सबसे चमकीला ग्रह शुक्र है, इसलिए यह खगोलीय घटना आसानी से देखी जा सकती है। यदि किसी को इसके अंतरिक भाग को देखना है तभी टेलिस्कोप से इसे देखने की जरूरत है, अन्यथा सौन्दर्य बोध एवं इस खगोलीय घटना का आनन्द लेने के लिए इसे खुली आंखों से ही देखना बेहतर रहेगा।
प्रकृति में आनन्द और कामुकता के साथ सौदर्य बोध बढ़ा
जब भी यह युति का समय होता है, प्रकृति में आनन्द और कामुकता के साथ सौन्दर्य बोध बढ़ जाता है। स्वभाविक तौर पर मनुष्य के नजरिए में प्रेम का प्रभाव तेजी से देखने को मिलता है। शुक्र और चंद्रमा की यह युति वास्तव में भौतिक कामनाओं, भौतिक संसाधनों की पूर्ति एवं अपने प्रभाव को प्रदर्शित करने वाली होती है। ऐसे में जब आज श्रीगणेशजी का दिन भी है और यह संयोग बना है तब इसके प्रभाव के रूप में आप गणेश स्थापना के साथ उसकी भव्यता के रूप में भी देख पाएंगे।
चंद्रमा नवग्रहों में सबसे तेज चलने वाला ग्रह
चंद्रमा नवग्रहों में सबसे तेजी से चलने वाला सौरमंडल का ग्रह है। अपने समय काल में चंद्रमा ही ऐसा एक मात्र ग्रह है जोकि सिर्फ ढाई दिन के अंतराल में अपनी राशि बदलने में सफल रहता है। इसलिए हर ग्रह के साथ चंद्रमा की युति ढाई दिन की होती है। आज से शुरू हुई इस घटना के साथ भी ऐसा ही है। शुक्रवार से शुरू होकर रविवार तक के दिन कला, संस्कृति, सौन्दर्य के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए विशेष है। उनमें यह नजदीकियां लेकर आएगा। प्रेम का प्रसार करेगा और आनन्द की वर्षा करेगा।