बिहार में कोरोना वायरस का कहर अब गांवों में भी शुरू हो गया है. राज्य के ग्रामीण इलाके के पंचायतों में चल रहे उप स्वास्थ्य केंद्र के हालात बेहद दयनीय है. कोरोना संक्रमण के कारण मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड के सरमस्तपुर पंचायत में 26 दिनों में 37 लोगो की मौत हो गई. इस पंचायत में लगातार हो रही मौत से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. सकरा प्रखण्ड के सरमस्तपुर पंचायत में एक महीने के अंतराल में लगभग 37 लोगों की मौत से ग्रामीणों में दहशत है. लोग घरों से बाहर नही निकल रहे हैं. पूरी पंचायत वीरानी सी लग रही है. यहां के लोगों का कहना है कि बहुत लोगों में कोरोना के लक्षण देखे गए थे, लेकिन लोगों का टेस्ट नहीं किया गया.
वहीं पंचायत के मुखिया प्रमोद कुमार गुप्ता ने बताया कि मौत होना स्वाभाविक है, लेकिन हमारे यहां 26-27 दिनों में 37 लोग मरे हैं, जिसमें कुछ बूढ़े थे तो कुछ संदिग्ध मरे हैं. मुखिया ने ये भी कहा कि जब जांच के लिए हमने प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रभारी को कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि अभी जांच किट नहीं है. मुखिया प्रमोद कुमार गुप्ता ने कहा कि बड़ी संख्या में ग्रामीण बीमार हैं, सभी में कोविड के लक्षण है, जिनका तुरंत इलाज आवश्यक है. मरने वाले 37 ग्रामीणों में 20 में कोरोना के लक्षण थे. वहीं मामले में सकरा पीएचसी प्रभारी में कहा कि ऐसा नहीं है कि सबकी संदिग्ध मौत ही हुई है, बहुत सारे लोग बहुत सारे बीमारियों से मरे हैं.
गांवों के साथ शहर में भी हालत बद
तर केवल गांव ही नहीं मुजफ्फरपुर शहर के वार्ड में भी कोरोना का कहर जारी है. राहुल नगर मोहल्ले में कोरोना से करीब दो दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 100 लोग अभी भी संक्रमित हैं. संक्रमितों को होम क्वारनटीन करके स्वास्थ्य विभाग ने अपना पल्ला झाड़ लिया है. चौंकाने वाली बात है कि वार्ड में अभी भी कोरोना नियमों की अनदेखी हो रही है. वार्ड पार्षद गायत्री चौधरी ने बताया कि मोहल्ले में कोरोना की चपेट में कई लोग आ चुके हैं, जिनके लिए जांच की कोई व्यवस्था नहीं है, बैरिया बस स्टैंड में जांच की भी जा रही थी तो उस सेंटर को बंद कर दिया गया है. बार-बार लिखित शिकायत के बावजूद उसे चालू नहीं किया जा रहा है, जिससे संक्रमितों का सही आंकड़ा सामने नहीं आ पा रहा है.