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बाराबंकी में विवादित मस्जिद पर हुई ये कार्रवाई, मलबे को जेसीबी से हटाया, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बताया गलत

उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के तहसील रामसनेहीघाट परिसर में बने मस्जिद को प्रशासन ने लॉकडाउन में तुड़वा कर मलबा हटवा दिया है। जिलाधिकारी ने कार्रवाई के दौरान बताया कि मस्जिद का निर्माण अवैध था। सुन्नी वक्फ बोर्ड और समाजवादी पार्टी ने प्रशासन की कार्यवाही को गलत बताया है। बाराबंकी की रामसनेही घाट तहसील परिसर में बनायी गयी मस्जिद उस समय चर्चा में आयी थी थ् जब तहसील प्रशासन ने बीते 17 मई को विवादित स्थल को गिरा दिया और मलबे को भी हटवा दिया। रामसनेहीघाट के एसडीएम दिव्यांशु पटेल के सरकारी आवास के सामने बने मस्जिद में रहने वालों लोगों को नोटिस दिया गया। नोटिस दिये जाने के बाद यहां रहने वाले तीन लोग बिना आईडी के दिये फरार हो गये। इसके बाद एसडीएम ने तहसील में लगे धार्मिक स्थल के गेट को हटवा कर बाउंडरी बनाकर अपने कब्जे में ले लिया था। तहसील प्रशासन ने धार्मिक स्थल में रहने वालों को नोटिस मिलने के बाद पक्षकार हाई कोर्ट की शरण में भी गए थे।
रिट संख्या-7948ध्21 में हाई कोर्ट ने मस्जिद ख्वाजा गरीब नवाज अल मंसूर के खसरा पेपर और सुन्नी वक्फ बोर्ड में पंजीकृत होने का प्रमाण 15 दिन के अंदर प्रशासन को देने का आदेश दिया था।

इस बीच प्रशासन ने मस्जिद में प्रवेश पर रोक लगा दिया था। इसी मामले में पुलिस ने 39 नामजद और 150 अज्ञात पर केस दर्ज कर कई लोगों को जेल भेजा था। तहसील प्रशासन ने धारा 133 के तहत विवादित स्थल को अपने कब्जे में लेते हुए मलबे को गिरा कर साफ करवा दिया। मलबा वहां से हटावा दिया गयां। इस पर बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने कहा कि पक्षकारों को सूचना के लिए नोटिस दिया गया था। नोटिस मिलते ही अवैध आवासीय परिसर में रह रहे लोग फरार हो गए थे।

बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने कहा कि तहसील की सुरक्षा को देखते हुए 18 मार्च को उसे तहसील टीम द्वारा कब्जे में ले लिया गया था। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल रिट संख्या 7948ध्21 में पक्षकारों का प्रत्यावेदन निस्तारित करने पर यह तथ्य सामने आया कि तहसील परिसर में बना आवासीय परिसर अवैध है। अवैध निर्माण को हटाना जरूरी था।