केरल (Kerala) में कोरोना वायरस (corona virus) का एक और नया उप स्वरूप (Another new sub form) सामने आया है। जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome sequencing.) के बाद इसे खोजा गया है। वैज्ञानिकों ने इसका नाम जेएन.1 (JN 1) रखा है। बताया जा रहा है कि हाल ही में अमेरिका (America), सिंगापुर (Singapore) और इंडोनेशिया (Indonesia.) में कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या में वृद्धि के लिए यही जिम्मेदार है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए अभी कोई चिंता की बात नहीं है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) (Indian Medical Association (IMA).) की कोविड टास्क फोर्स के सह अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि भारत के बाहर जेएन.1 उप स्वरूप से संक्रमित मरीजों की संख्या काफी है, लेकिन भारत में अभी तक सिर्फ केरल से ही मामले सामने आए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह केरल में लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग पर ध्यान देना है। बाकी राज्यों की स्थिति तभी सामने आ सकती है जब वहां कोरोना संक्रमित रोगियों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जाए।
दुनिया में पिरोला नाम से पहचान देश के जीनोमिक्स कंसोर्टियम यानी इन्साकॉग के सह अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा का कहना है कि भारत के लिए कोई चिंता की बात नहीं है। केरल में जो जेएन.1 उपस्वरूप की पहचान हुई है यह कोरोना के ही बीए.2.86 स्वरूप से निकला है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिरोला नाम से जाना जा रहा है। अमेरिका और यूरोप में इस पर चिंता जताई जा रही है क्योंकि वहां संक्रमण के मामलों में बड़ा उछाल आया है लेकिन भारत में ऐसी स्थिति नहीं है।
छह माह बाद एक दिन में मिले 300 से ज्यादा संक्रमित
तापमान में गिरावट के साथ ही कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में भी उछाल आया है। बीते छह माह में पहली बार एक दिन में 300 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मिले हैं, जिसके चलते देश में कोरोना के सक्रिय यानी उपचाराधीन मरीजों की संख्या भी एक हजार का आंकड़ा पार कर गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बीते दिन देश में कोरोना से संक्रमित 312 मरीज अलग-अलग राज्यों में मिले हैं। यह संख्या इस साल 31 मई के बाद सामने आई है। फिलहाल देश में सक्रिय यानी उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 1,296 हो गई है।
सीवेज में कोरोना…केवल दो राज्यों में की जा रही जांच
सीवेज में कोरोना वायरस की उपस्थिति और उसके स्वरूप का पता लगाने पर देश के अधिकांश राज्यों का ध्यान नहीं है। सीवेज में जांच के लिए अब तक केवल दो राज्य ओडिशा और पश्चिम बंगाल ने ही दिलचस्पी ली है जबकि देश के जीनोमिक्स कंसोर्टियम यानी इन्साकॉग ने सीवेज से प्राप्त सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए अलग से प्लेटफार्म तैयार कर राज्यों से पंजीयन के लिए कहा है। इन्साकॉग से मिली जानकारी के अनुसार, ओडिशा और प.बंगाल के कुल छह चिकित्सा संस्थानों ने मिलकर 350 सैंपल की सीक्वेंस पूरी की है। इसके अलावा हैदराबाद, बैंगलोर और मुंबई के कुछ संस्थान ने अध्ययन के लिए इस प्रक्रिया का पालन किया है।