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काबुल से आ रही श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप को ग्रहण करेंगे केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, मंगलवार को एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान में 25 भारतीय नागरिकों सहित 78 लोगों और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 3 प्रतियों को ताजिकिस्तान के दुशांबे से नई दिल्ली लाया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और भाजपा नेता आरपी सिंह दिल्ली हवाई अड्डे पर काबुल से लाए गए श्री गुरु ग्रंथ साहिब का स्वरूप ग्रहण करेंगे।

उन्हें एक दिन पहले भारतीय वायु सेना (IAF) के एक विमान में तालिबान के नियंत्रण वाले काबुल से दुशांबे के लिए रवाना किया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, “अफगानिस्तान से सुरक्षित वापसी में एयर इंडिया दुशांबे से दिल्ली के रास्ते में 78 यात्रियों को लेकर आ रहा है, जिसमें 25 भारतीय नागरिक भी शामिल हैं।”

बागची ने फ्लाइट में सवार यात्रियों की एक छोटी क्लिप भी पोस्ट की जिसमें वेहेगुरु का खालसा, वाहेगुरु की फतेह के नारे लग रहे थे।

भारत द्वारा काबुल से अपने स्वयं के नागरिकों, दर्जनों अफगान सिखों और हिंदुओं सहित अधिक लोगों को निकालने की उम्मीद है। युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात के बीच सोमवार को भारतीय अधिकारियों ने 75 सिखों को निकाला।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया, ”गुरु ग्रंथ साहिब की तीन प्रतियां, 46 अफगान सिखों और हिंदुओं सहित 75 लोगों को भी भारतीय वायुसेना के विमान से अफगानिस्तान से निकाला जाएगा। तीन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को काबुल हवाई अड्डे पर भारतीय वायुसेना के विमान में ले जाया जा रहा है। फंसे हुए भारतीय नागरिकों के साथ 46 अफगान हिंदू और सिख एक ही उड़ान से लौटने के लिए धन्य हैं।”

इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने कहा कि लगभग 200 और अफगान सिख और हिंदू अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “इन लोगों ने काबुल के करता परवन गुरुद्वारे में शरण ली है, जो हवाई अड्डे के करीब है।”

भारत ने रविवार को काबुल, दुशांबे और दोहा से कई उड़ानों से अपने 475 नागरिकों सहित लगभग 540 लोगों को निकाला। काबुल पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के दो दिनों के भीतर भारतीय दूतावास में तैनात राजनयिकों, अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों और कुछ भारतीय नागरिकों सहित लगभग 200 लोगों को काबुल से बाहर निकाल दिया गया था।